सत्यार्थी और मूर्ति भी बोले, मोदी राज में अल्पसंख्यक असुरक्षित

नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी और इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति ने भी देश में बढती सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं पर अपनी चिंता ज़ाहिर की है. एक तरफ जहां सत्यार्थी ने कहा कि सरकार और समाज के एक तबके के बीच विश्वास की कमी ख़त्म होनी चाहिए वहीं मूर्ति ने कहा कि इस सरकार में अल्पसंख्यक खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं.

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सत्यार्थी और मूर्ति भी बोले, मोदी राज में अल्पसंख्यक असुरक्षित

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  • October 31, 2015 6:54 am Asia/KolkataIST, Updated 9 years ago
नई दिल्ली/मुंबई. नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी और इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति ने भी देश में बढती सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं पर अपनी चिंता ज़ाहिर की है. एक तरफ जहां सत्यार्थी ने कहा कि सरकार और समाज के एक तबके के बीच विश्वास की कमी ख़त्म होनी चाहिए वहीं मूर्ति ने कहा कि इस सरकार में अल्पसंख्यक खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. 
 
क्या बोले सत्यार्थी
टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेस के आयोजित एक कार्यक्रम में सत्यार्थी ने कहा, न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया में हालात बिगड़ते जा रहे हैं. सत्यार्थी ने कहा कि देश में असहिष्णुता बढ़ती जा रही है. सरकार और जनता के बीच संवाद नहीं है. इस दिशा में तुरंत कदम उठाया जाना चाहिए. उन्होंने उम्मीद जताई कि सरकार जल्द दखल देगी और हालात सुधरेंगे. साहित्यकारों, फिल्मकारों, वैज्ञानिकों और इतिहासकारों के पुरस्कार लौटाने की मुहिम पर सत्यार्थी ने कहा कि विरोध दर्ज करना मौलिक अधिकार का मसला है लेकिन जो भी हो रहा है वह अच्छे संकेत नहीं दे रहा है.
 
क्या बोले नारायण मूर्ति
एक समाचार चैनल के कार्यक्रम में मूर्ति ने कहा, मौजूदा वक्त में अल्पसंख्यकों के मन में डर समाया हुआ है और देश के आर्थिक विकास के लिए इस डर को खत्म करना बहुत जरूरी है. बकौल मूर्ति, मेरे पास लगातार आ रहे ईमेल्स में लोग अपनी चिंताओं को व्यक्त कर रहे हैं और इस सबसे यही लग रहा है कि यूपीए और एनडीए सरकार में कोई फर्क ही नहीं है.
 
नारायण मूर्ति ने कहा, आर्थिक प्रगति के लिए सबसे ज़्यादा ज़रूरत लोगों के बीच शांति और सैहार्द का माहौल बनाने की है. लोगों के बीच भरोसे और उत्साह का माहौल होना ज़रूरी है. मैं नेता नहीं हूं और न ही राजनीति में कोई दिलचस्पी है, लेकिन सच्चाई ये है कि आज अल्पसंख्यकों के मन में डर है. उन लोगों में भी डर है जो अपने मूल प्रदेश को छोड़कर दूसरे प्रदेशों में रह रहे हैं.

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