नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की साप्ताहिक पत्रिका पांचजन्य में एक लेख लिखा गया है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट पर बड़ा आरोप लगाया गया है। पत्रिका में लिखे लेख के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट को भारत विरोधी ताकतें टूल की तरह इस्तेमाल कर रही हैं। बता दें, बीबीसी डॉक्यूमेंट्री को प्रतिबंधित करने के केंद्र सरकार के […]
नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की साप्ताहिक पत्रिका पांचजन्य में एक लेख लिखा गया है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट पर बड़ा आरोप लगाया गया है। पत्रिका में लिखे लेख के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट को भारत विरोधी ताकतें टूल की तरह इस्तेमाल कर रही हैं। बता दें, बीबीसी डॉक्यूमेंट्री को प्रतिबंधित करने के केंद्र सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। जिस पर कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इसी के बीच सुप्रीम कोर्ट पर पांचजन्य पत्रिका में लिखे लेख में उक्त टिप्पणी की गई है।
पांचजन्य पत्रिका के ताजा अंक के संपादकीय लेख में लिखा गया है कि मानवाधिकार के नाम पर आतंकवादियों को बचाने की कोशिशों, पर्यावरण के नाम पर भारत के विकास में बाधा डालने के बाद अब यह कोशिश की जा रही है कि देश विरोधी ताकतों को देश के खिलाफ प्रोपेगेंडा फैलाने का अधिकार भी मिलना चाहिए। लेख के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट को देशहित की सुरक्षा के लिए बनाया गया था लेकिन यह देश विरोधी ताकतों द्वारा अपना रास्ता साफ करने के लिए टूल की तरह इस्तेमाल हो रहा है। लेख के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट देश के करदाताओं के पैसे से, भारतीय कानून से और भारतीयों की भलाई के लिए चलता है, ना कि देश विरोधी ताकतों के लिए।
इसके अलावा संपादकीय लेख में बीबीसी द्वारा प्रसारित डॉक्यूमेंट्री को भारत को बदनाम करने के लिए प्रोपेगेंडा बताया, डॉक्यूमेंट्री पर लेख का कहना है इस डॉक्यूमेंट्री का निर्माण गलत तथ्यों और काल्पनिकता के आधार पर किया गया है। देश विरोधी ताकतें हमारे लोकतंत्र, हमारी दयालुता और हमारी सभ्यता के मानकों का हमारे ही खिलाफ फायदा उठाना चाहती हैं। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने बीते हफ्ते ही बीबीसी पर भारत में प्रतिबंध लगाने की याचिका को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने याचिका की मेरिट को आधारहीन बताया था।
बता दें, बीबीसी ने साल 2002 के गुजरात दंगों में प्रधानमंत्री मोदी की कथित भूमिका को लेकर एक डॉक्यूमेंट्री प्रसारित की थी, जिसे केंद्र सरकार ने प्रोपेगेंडा बताते हुए भारत में दिखाए जाने पर प्रतिबंध लगा दिया था।