Advertisement

गांव-गांव घूमकर पापा बेचते थे कपड़े, बेटा बना IAS अफसर

नई दिल्ली: अगर आप में संघर्ष करने का जज़्बा है तो कोई भी शिखर हाशिल कर सकते है. बिहार के अनिल बसाक ने इसे साबित कर दिखाया है. लगातार संघर्ष और दृढ़ विश्वास के कारण उन्होंने संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में 45वीं रैंक हासिक की है, लेकिन उनके संघर्ष की कहानी इससे भी […]

Advertisement
गांव-गांव घूमकर पापा बेचते थे कपड़े, बेटा बना IAS अफसर
  • February 14, 2023 12:58 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली: अगर आप में संघर्ष करने का जज़्बा है तो कोई भी शिखर हाशिल कर सकते है. बिहार के अनिल बसाक ने इसे साबित कर दिखाया है. लगातार संघर्ष और दृढ़ विश्वास के कारण उन्होंने संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में 45वीं रैंक हासिक की है, लेकिन उनके संघर्ष की कहानी इससे भी ज्यादा दिलचस्प है. आइए जानते है…

अनिल बसाक की पूरी कहानी

अनिल बसाक बिहार के किशनगंज जिले के रहने वाले है. अनिल के पिता राजस्थान में एक बिजनेसमैन के यहां काम करते थे. जब वहां से गांव वापस आए तो दो वक्त की रोटी के लिए घर-घर जाकर कपड़े बेचने लगे. इसके बाद अनिल ने परिस्थितियों को अपनी ताकत बनाया. अब उन्होंने आईएएस बनकर पूरे परिवार का नाम रोशन कर दिया है।

अनिल बसाक ने औरिया पब्लिक स्कूल से 10 वीं कक्षा की पढ़ाई पूरी की. इनके बाद 12वीं की पढ़ाई किशनगज के बाल मंदिर से हुई. आपको बता दें कि अनिल अपने परिवार के 10 वीं पास करने वाले दूसरे सदस्य हैं. उनके पिता बिनोद बसाक केवल चौथी कक्षा तक ही पढ़े थे. हालांकि उन्होंने अपने चार बच्चों को पढ़ाया. अनिल बसाक के बड़े भाई ने बिहार में पावर कॉर्पोरेशन में नौकरी हासिल की.

आईआईटी से आईएएस तक का सफर

अनिल बसाक ने 2014 में सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए आईआईटी दिल्ली में एडमिशन लिया. 2018 में इंजीनियरिंग पास करने के बाद उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी और वह तीसरे प्रयास में 45वीं रैंक हासिल की. इससे पहले उन्होंने यूपीएससी के दूसरे प्रयास में 616वीं रैंक प्राप्त किया था. तैयारी करने के दौरान जिम्मेदारियों का बोझ ऐसा था कि वे बतौर आयकर आयुक्त नौकरी करने लगे. इसके बाद भी उन्होंने तैयारी बरकरार रखा और अब वे अफसर बन चुके है।

कारगिल युद्ध के साजिशकर्ता थे मुशर्रफ, 1965 में भारत के खिलाफ लड़े थे युद्ध

Parvez Musharraf: जानिए क्या है मुशर्रफ-धोनी कनेक्शन, लोग क्यों करते हैं याद

Advertisement