लखनऊ: यूपी के प्रयागराज में पिछले 15 साल से अनोखा सामूहिक विवाह आयोजित किया जा रहा है। इसमें दिव्यांग लोगों का अनोखे तरीके से विवाह कराया जाता है। जिसमें दुल्हन बग्घी पर बैठकर बारात लाती है। इस आयोजन में खाने-पीने समेत किसी भी चीज की कोई कमी नहीं होती है। कार्यक्रम के संयोजक श्रीनारायण यादव […]
लखनऊ: यूपी के प्रयागराज में पिछले 15 साल से अनोखा सामूहिक विवाह आयोजित किया जा रहा है। इसमें दिव्यांग लोगों का अनोखे तरीके से विवाह कराया जाता है। जिसमें दुल्हन बग्घी पर बैठकर बारात लाती है। इस आयोजन में खाने-पीने समेत किसी भी चीज की कोई कमी नहीं होती है। कार्यक्रम के संयोजक श्रीनारायण यादव ने बताया कि दिव्यांगजन सेवा परिवार ने इस बार यह सामूहिक विवाह 18 फरवरी को बैंक रोड स्थित राजर्षि टंडन सेवा केंद्र के प्रांगण में रखा है। इस आयोजन में 12 दिव्यांग जोड़ों का विवाह होगा।
उन्होंने बताया कि ये विवाह पूरी तरह से जन भागीदारी से होता है। जिसके जरिये पिछले 15 सालों में लगभग 350 दिव्यांग लोगों की शादी कराई जा चुकी है। नगर और बाहर के गणमान्य लोग दंपति को गृहस्थी का सामान भेंट करते हैं। हर साल सलीम शेरवानी की ओर से सिलाई मशीन, चौक के कुलदीप भैया की ओर से आलमारी, इनर व्हील क्लब की ओर से पलंग आदि भेंट किया जाता है.वहीं, लोक सेवक मंडल के राजकुमार चोपड़ा की तरफ से गेस्ट हाउस की व्यवस्था की जाती है.
यादव ने बताया कि विवाह से पूर्व 17 फरवरी को हल्दी रस्म का आयोजन किया जाएगा। इस शादी समरोह में मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति विजयलक्ष्मी होंगी। हिंदू दिव्यांग जोड़ों का विवाह श्री प्रकाश जी के नेतृत्व में पंडित करेंगे। उन्होंने बताया कि विवाह कार्यक्रम के मुख्य अतिथि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति नीरज तिवारी हैं। साथ ही कार्यक्रम की अध्यक्षता लोक सेवा मंडल के अध्यक्ष राजकुमार चोपड़ा को दी गई है।
इस मौके पर राष्ट्रीय स्तर पर दिव्यांगजनों के लिए काम करने वाली हस्तियों को सम्मानित किया जाता है, जैसे जम्मू कश्मीर से वीरेंद्र लंगू, महाराष्ट्र से मनोज शशिकांत पटवारी, उत्तराखंड से तनवीर आलम, लखनऊ से विष्णुकांत मिश्र, दिल्ली से डॉक्टर देशराज और प्रयागराज से कविता यादव त्रिपाठी। उन्होंने बताया कि उच्च न्यायालय की अधिवक्ता सुभाष राठी के विशेष सहयोग से शुरू हुआ था जो आज बहुत बड़ा आकार ले चुका है। जन सहयोग से एक नेक कार्य का इससे अच्छा उदाहरण कुछ भी नहीं हो सकता है। बता दें, इस आयोजन के लिए किसी से चंदा नहीं मांगा जाता, बल्कि लोग खुद बढ़ चढ़कर आगे आते हैं और कार्यक्रम में सहयोग करते हैं।
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