नई दिल्ली। कई दिनों से अमेरिका के ऊपर मंडरा रहे चीनी जासूसी गुब्बारे को लेकर बढ़ रहे तनाव के बीच अब अमेरिका ने इसे मार गिराया। एसोसिएट प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका ने समुद्र के ऊपर चीनी गुब्बारे को गिराया है। अब इसके मलबे को इकट्ठा किया जाएगा।
अमेरिकी वायुसेना ने उत्तरी अमेरिका में संवेदनशील सैन्य स्थलों को पार करने के बाद कैरोलिना तट पर संदिग्ध चीनी जासूसी गुब्बारे को गिराया है। अमेरिका द्वारा चीनी गुब्बारे को गिराए जाने के बाद चीन ने अमेरिका द्वारा की गई इस कार्रवाई पर सख्त विरोध जताया है। बता दें, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने चीनी गुब्बारे को गिराए जाने की मंजूरी दी थी।
राष्ट्रपति जो बाइडेन का बयान
गुब्बारे को गिराए जाने के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने बयान जारी करते हुए कहा कि, बुधवार को जब मुझे अमेरिका के आसमान में गुब्बारे के होने की जानकारी दी गई, तो मैंने पेंटागन को इसे जल्द गिराए जाने के आदेश दिए थे। उन्होंने इस सफलतापूर्वक गिरा दिया है। मैं अपने सैनिकों को इसके लिए बधाई देना चाहता हूं।
क्या है पूरा मामला
जानकारी के अनुसार अमेरिका के रक्षा अधिकारी ने सबसे पहले गुब्बारे के होने की जानकारी दी थी। गुब्बारे को पहली बार इस सप्ताह के शुरू में मोंटाना के ऊपर आसमान में देखा गया था। जिसके बाद गुब्बारे को गिराए जाने से पहले संघीय उड्डयन प्रशासन ने उत्तरी कैरोलिन में विलमिंगटन, दक्षिण कैरोलिना में चार्ल्सटन और दक्षिण कैरोलिना में मर्टल बीच में गुब्बारे के होने की जानकारी दी थी। हालांकि इस दौरान शीर्ष सैन्य अधिकारियों ने गुब्बारे को नीचे गिराने से मना कर दिया था। क्योंकि मलबा जमीन पर लोगों के लिए खतरा पैदा कर सकता था।
चीन का बयान
चीन ने माना कि यह बैलून उनका है और अपना रास्ता भटक गया है। साथ ही चीन ने इस मुद्दे पर दुनिया से शांति बरतने की अपील की है। विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन की अगले सप्ताह होने वाली चीन की यात्रा का रद्द होना दुर्भाग्यपूर्ण है। यह बैलून सिर्फ एक सिविल यूज के लिए है, इसका इस्तेमाल मौसम से जुड़ी रिसर्च करने के लिए किया जाता है। चीन ने अमेरिका को सख्त नसीहत देते हुए उसे ऐसे मुद्दों पर अपना रवैया बदलने की सलाह दी।
बता दें, अमेरिकी आसमान पर संदिग्ध चीनी जासूसी गुब्बारों के उड़ने से उठे सियासी हंगामे ने न केवल दोनों देशों की राजनयिक स्तर पर बातचीत को पटरी से उतार दिया है, बल्कि इससे दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण रिश्तों को स्थिरता देने के प्रयासों को भी विफल कर दिया है।