नई दिल्ली : बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री को लोगों के मन की बात पर्ची पर लिखने को लेकर इन दिनों काफी चर्चा में है. कुछ लोग धीरेंद्र शास्त्री पर अंधविश्वास को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए उनपर केस दर्ज करने की भी मांग कर रहे है. हालांकि इस मामले में धीरेंद्र […]
नई दिल्ली : बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री को लोगों के मन की बात पर्ची पर लिखने को लेकर इन दिनों काफी चर्चा में है. कुछ लोग धीरेंद्र शास्त्री पर अंधविश्वास को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए उनपर केस दर्ज करने की भी मांग कर रहे है. हालांकि इस मामले में धीरेंद्र शास्त्री को क्लीन चिट मिल गई है. धीरेंद्र शास्त्री के गुरू रामभद्राचार्य ने अपने शिष्य का धीरेंद्र शास्त्री का सावर्जनिक तौर पर बचाव कर चुके है. अब प्रश्न ये है कि पद्य विभूषण रामभद्राचार्य कौन है.
धीरेंद्र शास्त्री के गुरू जगदगुरू श्री रामभद्राचार्य चित्रकूट स्थित तुलसी पीठ के संस्थापक है. रामभद्राचार्य 2 वर्ष की उम्र में ही दृष्टिहीन हो गए थे. रामभद्राचार्य को रमाकथा वाचक के तौर पर काफी लोकप्रियता मिली है इतनी छोटी उम्र में दृष्टिबाधित हो जाने के बाद भी वे 80 ग्रंथों की रचना कर चुके है. इसके अलावा वे 22 भाषाओं के जानकार भी है.
रामभद्राचार्य के शिष्य धीरेंद्र शास्त्री जबसे चर्चित हुए है तब से ही उनका नाता विवादों से जड़ा है,जब विवाद बढ़ा तो धीरेंद्र शास्त्री का बचाव करने के लिए रामभद्राचार्य को आगे आने पड़ा. उन्होंने कहा कि धीरेंद्र शास्त्री को कुछ लोग बदनाम करने की कोशिश कर रहे है. वहीं धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि वह सनातन धर्म को बढ़ावा देने का काम कर रहे है.
राम जन्मभूमि विवाद में SC के जजों ने रामभद्राचार्य से भगवान राम के जन्मस्थान के बारे में वैदिक प्रमाण मांगे थे. रामभद्राचार्य ने अथर्ववेद का हवाला देते हुए भगवान राम के जन्मस्थान के बारे संदर्भ दिया था इससे SC के जज भी विस्मित हो गए थे. रामभद्राचार्य ने भगवान राम के जन्म का प्रमाण अथर्ववेद के 10वें कांड के 31वें अनुवाक के दूसरे मंत्र का हवाला देते हुए भगवान राम के जन्म का प्रमाण दिया था. तभी पीठ में शामिल एक मुस्लिम जज ने कहा की आप के दैवीय शक्ति है.
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