नई दिल्ली। पाकिस्तान के पेशावर के सबसे सुरक्षित इलाके में नमाजियों से खचाखच भरी मस्जिद में सोमवार को हुए फिदायीन हमले ने सभी को हिला कर रख दिया। इस हमले में अब तक 90 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 200 से ज्यादा लोग घायल हो चुके है। इस हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन […]
नई दिल्ली। पाकिस्तान के पेशावर के सबसे सुरक्षित इलाके में नमाजियों से खचाखच भरी मस्जिद में सोमवार को हुए फिदायीन हमले ने सभी को हिला कर रख दिया। इस हमले में अब तक 90 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 200 से ज्यादा लोग घायल हो चुके है। इस हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन तहरीक- ए – तालिबान पाकिस्तान ने ली है। हमले के बाद टीटीपी ने अपने बयान जारी करते हुए हमले को उमर खालिद खुरासानी की मौत का बदला बताया।
उमर खालिद खुरासनी टीटीपी का कमांडर था। उमर का जन्म पाकिस्तान की मोहम्मद बस्ती में हुआ था। उमर खालिद का असली नाम अब्दुल वली मोहम्मद था। उमर की शुरूआत की पढ़ाई उसके गांव साफो में हुई थी, लेकिन बाद में वह कराची के कई मदरसों में पढ़ा, उमर काफी कम उम्र में आतंकी संगठन से जुड़ गया था। शुरूआत में उसने पाकिस्तान के इस्लामी जिहाद संगठन हरकत-उल- मुजाहिदीन से रहते हुए उसे मुख्य रूप से कश्मीर में एक्टिव किया गया था। बाद में उमर ने तहरीक-ए-तालिबान में शामिल हो गया। उमर पिछले साल अगस्त में पाकिस्तानी सेना के हाथों मारा गया था। जिसके बाद उमर का बदला लेने के लिए संगठन के लोगो ने पूरी तैयारी के साथ पेशावर की मस्जिद पर हमले को अंजाम दिया।
उमर कश्मीर में काफी ज्यादा एक्टिव था, वह टीटीपी में जाने से पहले शायर हुआ करता था। अगस्त 2014 में उसने टीटीपी से अलग होकर जमात-उल-अहरार की स्थापना की। यह टीटीपी से जुड़ा हुआ एक आंतकी संगठन था जो अल्पसंख्यकों और सैन्यकर्मियों को निशाना बनाता था। खुरासानी मुख्यता अफगानिस्तान के नांगरहार और कुनार प्रांतों से आंतकी गतिविधियों को अंजाम देता था। इस संगठन के कई हमलों में मार्च 2016 में गुलशन- ए – इकबाल एम्जुयमेंट पार्क का हमला सबसे बड़ा है।
अमेरिका द्वारा खुरासानी पर 30 लाख डॉलर का इनाम रखा गया था। बता दें, अमेरिका की नजर खुरासानी पर तब से थी जब वो जमात उल अहरार से जुड़ा हुआ था, और अपने तरीके से आंतकी गतिविधियों को अंजाम देता था। अगस्त 2022 में अफगानिस्तान के पाकटीका इलाके में उमर खालिद खुरासानी की गाड़ी को निशाना बनाकर बम विस्फोट किया गया था। इस दौरान खुरासन के साथ कार में टीटीपी के दो और कमांडर मौजूद थे। इससे पहले खुरासीन तीन बार ड्रोन हमले से बच गया था।
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