नई दिल्ली: हमारे सनातन धर्म में बड़े-बुजुर्गों का सम्मान हमारा कर्तव्य बताया गया है। अपनों से बड़े और सम्मानीय लोगों के पैर छूना हिंदू धर्म की सदियों पुरानी परंपरा है। वहीं छोटी बच्चियों व कन्याओं के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेना भी बहुत अहम माना गया है। लेकिन आपको बता दें, धर्म-शास्त्रों में कुछ ऐसी […]
नई दिल्ली: हमारे सनातन धर्म में बड़े-बुजुर्गों का सम्मान हमारा कर्तव्य बताया गया है। अपनों से बड़े और सम्मानीय लोगों के पैर छूना हिंदू धर्म की सदियों पुरानी परंपरा है। वहीं छोटी बच्चियों व कन्याओं के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेना भी बहुत अहम माना गया है। लेकिन आपको बता दें, धर्म-शास्त्रों में कुछ ऐसी स्थितियों के बारे में बताया गया है जब सामने बड़े-बुजुर्ग आ भी जाएँ तो भी ऐसी सूरत में उनके पैर नहीं छूना चाहिए। ऐसी स्थिति में पैर छूने की बजाय दूर से हाथ जोड़कर प्रणाम अथवा नमस्कार कर लेना ही पर्याप्त होता है। ऐसे में आइए जानते हैं किन स्थितियों में बड़े और सम्मानीय लोगों के पैर भी नहीं छूने चाहिए।
श्मशान घाट से यदि कोई प्रतिष्ठित व्यक्ति या बुजुर्ग व्यक्ति लौट रहा हो तो उसे पैर छूने से बचना चाहिए। श्मशान भूमि में श्मशान से लौटने पर व्यक्ति अशुद्ध अवस्था में रहता है? स्नान आदि के बाद ही पैर छुआ जाना चाहिए।
एक व्यक्ति मंदिर में पूजा करने जाता है और भगवान से प्रार्थना करता है और उनका आशीर्वाद प्राप्त करता है। ऐसे में मंदिर के अंदर ईश्वर से बड़ा और सम्मानित कोई नहीं है। इसलिए अगर कोई बुजुर्ग या सम्मानित व्यक्ति किसी मंदिर या धार्मिक स्थान के अंदर है, तो भी उसके पैर नहीं छूने चाहिए।
यदि कोई बड़ा-बुजुर्ग सो रहा है या लेटा हुआ है, तो उस समय आप उनके पैर न छूएँ। सोते या लेटे हुए व्यक्ति के पैर छूना अत्यंत अशुभ होता है, माना जाता है कि ऐसा करने से व्यक्ति की आयु कम हो जाती है। ध्यान रहें कि सिर्फ मृत व्यक्ति के ही पैर छुए जाते हैं।
अगर कोई व्यक्ति पूजा कर रहा है तो उसकी पूजा समाप्त होने तक प्रतीक्षा करें। बीच में पैर न छुएं, ऐसा करने से उनकी पूजा में बाधा आएगी। जो कि गलत है। इसके साथ ही यदि कोई व्यक्ति अशुद्ध अवस्था में हो तो भी उसके पैर छूना सही नहीं है।
सनातन काल से चली आ रही यह परंपरा सभी हिंदुओं की आस्था से जुड़ा हुआ है। इस परंपरा का संबंध आम आदमी ही नहीं बल्कि देवी-देवताओं से भी बताया गया है। इसका एक उदाहरण भगवान श्रीकृष्ण है। भगवान श्रीकृष्ण ने अपने मित्र सुदामा न सिर्फ चरण स्पर्श किए बल्कि उसे अपने हाथों से धोने में भी किसी प्रकार का संकोच नहीं किया था।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष व लोक मान्यताओं पर आधारित है. इस खबर में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए इनख़बर किसी भी प्रकार की पुष्टि नहीं करता है.)