नई दिल्ली: 74वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर वीरता पुरुस्कारों का ऐलान किया गया है. कल यानी देश के 74वें गणतंत्र दिवस पर देश के 412 जाबाजों को राष्ट्रपति के हाथों सम्मानित किया जाएगा. इनमें 6 जांबाजों को कीर्ति चक्र और 15 को शौर्य चक्र से सम्मानित किया जाएगा. बता दें, गणतंत्र दिवस से […]
नई दिल्ली: 74वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर वीरता पुरुस्कारों का ऐलान किया गया है. कल यानी देश के 74वें गणतंत्र दिवस पर देश के 412 जाबाजों को राष्ट्रपति के हाथों सम्मानित किया जाएगा. इनमें 6 जांबाजों को कीर्ति चक्र और 15 को शौर्य चक्र से सम्मानित किया जाएगा. बता दें, गणतंत्र दिवस से पहले हर साल इसी तरह राष्ट्रपति द्वारा वीरता पुरुस्कार दिए जाते हैं. इस बार वीरता पुरूस्कार पाने वाले जाबाजों का नाम इस प्रकार है-
1. एनके जितेंद्र सिंह, राजपूत
2. मेजर शुभांग, डोगरा
1. युद्धवीर सिंह, मेकेनिकल INF
2. कैप्टन अरुण कुमार, कुमाऊं
3. कैप्टन राजेश टीआर, पैरा (SF)
4. मेजर अदित्य भदौरिया, कुमाऊं
5. विकास चौधरी, JAK RIF
6. एनके जसबीर सिंह, JAK RIF (POSTHUMOUS)
CRPF के जांबाजों को इस साल सबसे ज्यादा वीरता पुरुस्कार मिले हैं. CRPF जवानों को 48 पुलिस मेडल दिए गए हैं. 14 पुलिस मेडल ऑफ गैलेंट्री भी बांटे गए हैं. पुरुस्कारों के साथ 29 परम विशिष्ट सेवा मेडल भी दिए जाएंगे. इनमें 32 अति विशिष्ट सेवा मेडल, 3 उत्तम युद्ध सेवा मेडल, 92 सेना मेडल, 8 युवा सेवा मेडल, 79 विशिष्ट सेवा मेडल भी शामिल हैं. इसके अलावा 2 जांबाजों को बार टू विशिष्ट सेवा मेडल भी दिया गया है.
बता दें, हर सम्मान का अपना महत्व और अपनी कहानी है. शौर्य चक्र दुश्मन का डंट कर सामना करने के लिए जीवित या मृत योद्धा को दिया जाता है. यह सम्मान थल, वायु या नौसेना में किसी भी महिला या पुरुष को दिया जा सकता है. या फिर किसी रिजर्व बल, टेरिटोरियल आर्मी के जवान को उसकी बहादुरी के लिए भी शौर्य चक्र मिल सकता है. आर्म्ड फोर्सेस की नर्सिंग सर्विस भी इस सम्मान से सम्मानित हो सकती है.
कीर्ति चक्र तीनों सेनाओं के उन जवानों, आर्म्ड फोर्सेस की मेडिकल टीम या रिजर्व बल, टेरिटोरियल आर्मी को सम्मान देने के लिए दिया जाता है जो दुश्मन के सामने बहादुरी दिखाते हैं. ‘परमवीर’ चक्र उन योद्धाओं को दिया जाता है जो बहादुरी की हदें पार कर दुश्मन को मौत के घाट उतारते हैं या फिर किसी युद्ध की दिशा बदलने का साहस रखते हैं. इस मेडल पर चार ‘इंद्र के वज्र’ बने हुए हैं जिनका अपना महत्त्व है.
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