नई दिल्ली: कुछ लोग जीवन को सुख का साधन मानते हैं तो कुछ लोग यश पाने का साधन। कई लोगों के लिए, जीवन पैसा कमाने, प्यार पाने या परिवार शुरू करने का एक साधन है। कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनका जीवन पर दार्शनिक दृष्टिकोण होता है, जबकि अन्य धार्मिक होते हैं। वह इसे अच्छे […]
नई दिल्ली: कुछ लोग जीवन को सुख का साधन मानते हैं तो कुछ लोग यश पाने का साधन। कई लोगों के लिए, जीवन पैसा कमाने, प्यार पाने या परिवार शुरू करने का एक साधन है। कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनका जीवन पर दार्शनिक दृष्टिकोण होता है, जबकि अन्य धार्मिक होते हैं। वह इसे अच्छे कार्यों और मोक्ष प्राप्त करने के साधन के रूप में देखते है। लेकिन क्या यही जीवन का सही अर्थ है? विदेश में इस मामले की जांच हुई, जिसने काफी हद तक इस सवाल का जवाब तलाशने की कोशिश की. आइए जानते हैं विज्ञान की दृष्टि से जीवन का सही अर्थ क्या है?
जीवन का सही अर्थ बेहतर स्वास्थ्य और दीर्घायु है। इस शोध में यह बात सामने आई है कि वे लोग जिनकी उम्र 60 साल से कम होती है वो स्वास्थ्य को गंभीरता से नहीं लेते हैं लेकिन उनके जीवन के मायने बदल रहे हैं, जैसे-जैसे वे इस उम्र में पहुंचते हैं उनका नजरिया बदलता है और उनका मानना है कि जीवन को सिर्फ शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान देना चाहिए था.
जब लोग 60 वर्ष के होते हैं, तब उन्हें एहसास होता है कि जीवन का सही अर्थ क्या है। 20 साल की उम्र में उन्हें अपने करियर, जीवनसाथी के बारे में यकीन सोचते है। तीस, चालीस और पचास की उम्र में जीवन की प्राथमिकताएं बदलती रहती हैं। 60 साल की उम्र तक आप शादीशुदा होते हैं, आपका परिवार होता है, लेकिन फिर चीजें बदलने लगती हैं। काम से रिटायर होने के बाद लोग अपनी पहचान खोने लगते हैं और उनके लिए जिंदगी के मायने भी बदलने लगते हैं।
शोध में यह बात सामने आई है कि 60 साल की उम्र में स्वास्थ्य समस्याएं सामने आने लगती हैं। परिवार, करीबी दोस्त दुनिया छोड़ने लगते हैं। इसके बाद लोगों को एहसास होता है कि जीवन का सही अर्थ स्वास्थ्य है। इस शोध में 21 से 100 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को शामिल किया गया था। रिसर्च में अधिकांश लोगों का मानना था कि जीवन का असली आधार स्वास्थ्य है. जैसे-जैसे उम्र गुजरती है लोग इस बात का एहसास करने लगते हैं कि तमाम ऐशो-आराम इंसान की सेहत के आगे किसी काम के नहीं है.