पटना. बिहार में विभिन्न मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर गए नियोजित शिक्षक और सरकार अब आमने-सामने है. नियोजित शिक्षकों ने जहां 15 अप्रैल को बिहार बंद की घोषणा की है. दूसरी ओर सरकार ने हड़ताल अवधि का मानदेय नहीं देने और स्कूलों में जबरन तालाबंदी करने पर कार्रवाई करने का निर्देश जिलाधिकारियों को दिया है.
पटना. बिहार में विभिन्न मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर गए नियोजित शिक्षक और सरकार अब आमने-सामने है. नियोजित शिक्षकों ने जहां 15 अप्रैल को बिहार बंद की घोषणा की है. दूसरी ओर सरकार ने हड़ताल अवधि का मानदेय नहीं देने और स्कूलों में जबरन तालाबंदी करने पर कार्रवाई करने का निर्देश जिलाधिकारियों को दिया है.
नियोजित शिक्षकों के हड़ताल पर जाने के कारण सभी जिलों में ज्यादातर प्राथमिक और मध्य विद्यालय बंद हैं. जो विद्यालय खुले भी हैं, उन्हें भी हड़ताली शिक्षक बंद करवा रहे हैं. शिक्षक संघों ने राज्य के 70 हजार विद्यालयों में पढ़ाई ठप होने का दावा किया है. इस बीच, बिहार नियोजित शिक्षक न्याय मोर्चा व बिहार राज्य टीइटी उत्तीर्ण अभ्यर्थी संघ ने भी इस हड़ताल के समर्थन की घोषणा की है.
इधर, शिक्षा विभाग ने हंगामा और तालाबंदी करने वाले शिक्षकों पर सीधे कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. विभाग के सचिव आऱ क़े महाजन ने सभी जिले के जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों को इस संबंध में निर्देश जारी किया है. शिक्षा विभाग ने साफ तौर पर कह दिया है कि जो भी शिक्षक हड़ताल पर रहेंगे, उन्हें ‘नो वर्क नो पे’ के आधार पर हड़ताल अवधि का नियत मानदेय नहीं दिया जाएगा.
इस बीच, बिहार राज्य नियोजित शिक्षक संघर्ष मोर्चा ने 15 अप्रैल को बिहार बंद की घोषणा की है. गौरतलब है कि वेतनमान, समान काम के लिए समान वेतन तथा सरकारी सेवा में समायोजित करने की मांग को लेकर नौ अप्रैल से बिहार के नियोजित शिक्षक हड़ताल पर हैं.