नई दिल्ली: शाहरुख खान की नई फिल्म पठान के बारे में पता चलते ही लोगों ने इस पर खूब हंगामा किया है, अब तक कई सारे लोग फिल्म को रिलीज नहीं करने की धमकी दे चुके हैं। इस फिल्म को लेकर काफी हो-हल्ला हो रहा है. इस बीच ये जानना जरूरी है कि पठान आखिर […]
नई दिल्ली: शाहरुख खान की नई फिल्म पठान के बारे में पता चलते ही लोगों ने इस पर खूब हंगामा किया है, अब तक कई सारे लोग फिल्म को रिलीज नहीं करने की धमकी दे चुके हैं। इस फिल्म को लेकर काफी हो-हल्ला हो रहा है. इस बीच ये जानना जरूरी है कि पठान आखिर कौन हैं और क्या है उनकी कहानी…
पठान एशिया के दक्षिण में रहने वाली एक जाति है. ऐसा माना जाता है कि वे मुख्य रूप से अफगानिस्तान के हिंदू कुश पहाड़ों और पाकिस्तान में सिंधु नदी के पास के इलाकों में रहते हैं. ये ज्यादातर पश्तून समुदाय से ताल्लुक रखते हैं. आज के समय में पठान अफगानिस्तान, पाकिस्तान और भारत के कई हिस्सों में रहते हैं. इनकी अव्वलियत भाषा पश्तो है. लेकिन आपको बता दें, असली और सच्चा पठान उसे माना जाता है जो पश्तूनवाली को पूरा करता है. अब आप सोच रहे होंगे कि पश्तूनवाली क्या है? आइये आपको इस बारे में भी इत्तिला देते हैं:
पश्तून का इतिहास 5 हजार साल से भी ज्यादा पुराना बताया जाता है. लोकप्रिय पख्तून मान्यता के मुताबिक, इज़राइल ने 2,800 साल पहले देश से दस कबीलों को भगा दिया था।इन्हीं कबीलों को पख्तून माना जाता था। ऋग्वेद के चतुर्थ खंड के श्लोक 44 में पक्त्यकाय के नाम से भी पख्तून का ज़िक्र मिलता है।
मुगल शासक जहाँगीर के समय में लिखी गई मगजाने अफगानी किताब में भी इस बात का जिक्र है कि पख्तून इजराइल की औलाद हैं। जेबी फ्रेजर ने अपनी 1834 की पुस्तक “हिस्टोरिकल एंड डिस्क्रिप्टिव अकाउंट ऑफ पर्शिया एंड अफगानिस्तान” में लिखा है कि इस्लाम अपनाने से पहले, पश्तून खुद को “बानी इज़राइल” मानते थे.
ब्रिटिश भारत में अफ़गान शब्द को पठान जैसा भी माना जाता था। क्योंकि वे अफगानिस्तान के पश्तून इलाके से थे। 2011 की जनगणना की मानें तो, हिंदुस्तान में लगभग 10 मिलियन पठान रहते हैं. लखनऊ यूनिवर्सिटी के खान मोहम्मद आतिफ के मुताबिक अफगानिस्तान से ज्यादा पठान हिंदुस्तान में रहते हैं. साल 2011 के मुताबिक, इन सभी की पहली भाषा पश्तो थी.
हिंदुस्तान में पठानों के इतिहास की बात करें तो इसकी शुरुआत 11वीं और 12वीं सदी के आसपास होती है. पठान मुस्लिम शासकों के साथ हिंदुस्तान आते हैं, जिनमें से ज़्यादातर पठान हिंदुस्तान में ही बस गए. बाद में 1947 में जब देश आजाद हुआ तो कई पठान वापस चले गए. इसके बाद कई सारे पठान पाकिस्तान से भी यहाँ की ओर आने लगे और यहाँ के समाज पर अपना हक़ जमा लिया।
अब जो आख़िर में सबसे अहम सवाल बचता है वह है कि पश्तूनवाली क्या है? आपको बता दें, पश्तूनवाली का मतलब है पश्तूनों का तौर तरीका…, इसमें नौ बुनियादी कायदे शामिल हैं. पठानों को हर हाल में इन कायदों को पूरा करना चाहिए। लेकिन हाँ, इतिहास में ऐसा कई मर्तबा देखा गया है जब पठान योद्धाओं ने भारत पर जंग के दौरान इन नियमों को दरकिनार किया है. उस वक़्त पठानों ने औरतों-बच्चों पर बहुत जुल्मों-सितम किए थे.
पश्तूनवाली के नौ बुनियादी नियम है जिनके लिए पठान मरने-मारने को तैयार रहते हैं. हर पख़्तून/पठान/पश्तून पर यह फ़र्ज़ है कि वह पख़्तून सभ्यता व संस्कृति की हिफ़ाज़त करे। पश्तूनवाली आपको इस बारे में भी इत्तिला देती है कि इन नियमों को पूरा करने के लिए पख़्तून को पश्तो ज़बान कभी नहीं छोड़ना चाहिए। आपको बता दें, पठान को पख़्तून या पश्तून के नाम से भी जाना जाता है.
1. मेहमाननवाज़ी
2. मदद माँगने वालों की हिफाज़त
3. बदल और इंसाफ़
4. फ़ैज़ व बहादुरी
5. वफ़ादारी
6. ईमानदारी
7. इस्तेक़ामत यानी कि खुदा पर भरोसा
8. ग़ैरत यानी कि दूसरों की इज्ज़त
9. नमूस यानी कि औरतों का सम्मान
आपको बता दें, आप पठान को एक जाति महज़ समझने की गलती न करें। ऐसा इसलिए क्योंकि सारे पश्तून चार गुटों में बाँटे गए हैं: जैसे सर्बानी, बैतानी, ग़र्ग़श्त और ख़र्ल़ानी फिर इन कबीलों की भी अंदरूनी कबीलाई शाखाएँ है जिसे हम एक बारी में नहीं समझ सकते। बहरहाल ये थी “पठान क्या है और उनकी कहानी”….