Tunisha Sharma Sucide Case: टीवी की मशहूर अभिनेत्री तुनिशा शर्मा की आत्महत्या ने पूरी एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री को हिला कर रख दिया है. तुनिशा आत्महत्या मामले में उनके बॉयफ्रेंड शीजान को हिरासत में लिया गया है. जहां अभिनेता से पूछताछ की जा रही है. अब मुंबई पुलिस 20 वर्षीय तुनिशा के आत्महत्या से जुड़े सवालों का […]
Tunisha Sharma Sucide Case: टीवी की मशहूर अभिनेत्री तुनिशा शर्मा की आत्महत्या ने पूरी एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री को हिला कर रख दिया है. तुनिशा आत्महत्या मामले में उनके बॉयफ्रेंड शीजान को हिरासत में लिया गया है. जहां अभिनेता से पूछताछ की जा रही है. अब मुंबई पुलिस 20 वर्षीय तुनिशा के आत्महत्या से जुड़े सवालों का जवाब ढूंढ रही है. इसी कड़ी में तुनिशा शर्मा के को-स्टार और एक्स बॉयफ्रेंड शीजान पर एक्ट्रेस तुनिशा को आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज हुआ है.
आपको बता दें, तुनिशा शर्मा सुसाइड मामले में पुलिस तह तक जाकर जांच कर रही है. इसी कड़ी में उन्होंने तुनिशा के बॉयफ्रेंड शीजान से पूछताछ शुरू कर दी है. एक्ट्रेस की मौत के बादतुनिशा के रिश्तेदारों ने शेजान पर तुनिषा से परेशान करने का इल्ज़ाम लगाया था। पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि अभिनेत्री ने आत्महत्या क्यों की। इस मामले में एक्ट्रेस की माँ का कहना है कि वे दोनों रिलेशनशिप में थे और 15 दिन पहले ही दोनों अलग हुए थे. ब्रेकअप के बाद से ही वो बहुत दुखी थी। अब समझते हैं कि ख़ुदकुशी में उकसाने के मामले में कानून क्या कहता है, इसका पता कैसे चलेगा और अगर यह आरोप साबित हो जाता है तो आरोपी को कितनी सजा हो सकती है?
भारतीय दंड संहिता, 1860 के तहत किसी व्यक्ति को ख़ुदकुशी के लिए उकसाना दंडनीय अपराध है। ऐसे मामलों में आईपीसी की धारा 306 के तहत मामला दर्ज किया जाता है। आपको बता दें कि धारा 306 के तहत, यदि कोई व्यक्ति आत्महत्या करता है, तो जो कोई भी उसे ऐसा करने के लिए उकसाता है उसे कारावास की सजा दी जा सकती है, जिसे दस साल तक बढ़ाया जा सकता है, या जुर्माना लगाया जा सकता है। या सजा और जुर्माना दोनों लगाया जा सकता है। आमतौर पर अपराधी से वसूला गया जुर्माना मृतक के परिजनों को मुहैया कराया जाता है।
भारतीय कानून के तहत आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला काफी गंभीर माना जाता है। जिसकी सुनवाई सेशन कोर्ट में होती है और एक संज्ञेय अपराध के रूप में गिना जाता है, यह अपराध जमानत के अधीन नहीं है और इसमें समझौते की गुंजाईश होती है.
भारतीय कानून आत्महत्या में उकसाने को दंडनीय मानता है, लेकिन इसे हत्या जैसा गंभीर व संगीन अपराध नहीं बनाता है। हत्या और क़त्ल के मामलों में, अपराधी सीधे हत्या करता है, लेकिन आत्महत्या में लिए उकसाने के मामलों में, ऐसा नहीं होता जिसके चलते यह हत्या के मुकाबले कम संगीन माना जाता है.