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Taliban के इस फैसले से भड़का अमेरिका, बताया विनाशकारी

नई दिल्ली : तालिबान ने तुगलकी फरमान जारी करते हुए अफगानिस्तान में महिलाओं के काम करने पर पाबंदी लगा दी है. जहां अब अफगानिस्तान में महिलाएं पढ़ाई के बाद घरेलू और बाहरी NGO में काम नहीं कर पाएंगी. अमेरिका ने तालिबानी सरकार के इस फैसले को लेकर निशाना साधा है. जहां अमेरिका ने अफगानी सरकार […]

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Taliban News :
  • December 25, 2022 4:53 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली : तालिबान ने तुगलकी फरमान जारी करते हुए अफगानिस्तान में महिलाओं के काम करने पर पाबंदी लगा दी है. जहां अब अफगानिस्तान में महिलाएं पढ़ाई के बाद घरेलू और बाहरी NGO में काम नहीं कर पाएंगी. अमेरिका ने तालिबानी सरकार के इस फैसले को लेकर निशाना साधा है. जहां अमेरिका ने अफगानी सरकार के इस निर्णय को लेकर निंदा की है.

अमेरिका ने साधा निशाना

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो अमेरिका ने तालिबान के इस आदेश की निंदा करते हुए कहा है कि ‘यह प्रतिबंध लाखों लोगों के महत्वपूर्ण और जीवन रक्षक सहायता को बुरी तरह से नष्ट करने वाला है. अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने तालिबान के इस नए प्रतिबंध पर कहा-महिलाएं दुनियाभर में मानवीय कार्यों के केंद्र में हैं. लेकिन तालिबानी सरकार का ये फैसला अफगान के लोगों के लिए विनाशकारी सिद्ध हो सकता है.

दूसरी ओर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने बताया कि प्रतिबंध की खबरों को लेकर वह काफी परेशान हैं. वह कहते हैं कि संयुक्त राष्ट्र और उसके सहयोगी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय NGO के जरिए 28 मिलियन से ज़्यादा अफगान लोगों तक मदद पहुंचा रहा है. ये लोग अफगान में ज़िंदा रहने के लिए मानवीय सहायताओं पर निर्भर हैं.

बंदूक के दम पर लगाई लगाम

आपको बता दें, इससे पहले, तालिबान सुरक्षा बलों ने विश्वविद्यालय शिक्षा पर पाबंदी का विरोध कर रही महिलाओं को रोकने के लिए वाटर कैनन का इस्तेमाल किया। तालिबान के फैसले के बाद से ही देश के कई हिस्सों में महिलाओं ने इसका विरोध प्रदर्शन किया और कड़ी निंदा जलाई। कहीं विश्वविद्यालय तक महिलाओं ने कूच किया तो कहीं चौक में नारेबाजी की। हालाँकि, इन प्रदर्शनों को भी तालिबानी ताकतों ने बंदूक के दम पर रोक दिया था। आपको बता दें, जब से तालिबान ने अफगानिस्तान में सत्ता संभाली है, यह पहली बार था जब सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए थे। पहले कोई विरोध प्रदर्शन नहीं होता था।सऊदी अरब, तुर्की, यूएई और कतर आदि समेत मुस्लिम बहुल और मुस्लिम शासित देशों ने भी इसकी कड़ी निंदा की थी.

 

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