नई दिल्ली। भारत और ईरान का रिश्ता काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है, लेकिन समय-समय पर दोनों ही देशों ने अपनी नीतियों से सभी नफरतों को खत्म भी किया है, इस बार भारत की बारी थी और ईरान के पक्ष में खड़े रहकर भारत ने एक बार फिर ईरान के साथ अपने रिश्तों की डोर मज़बूत […]
नई दिल्ली। भारत और ईरान का रिश्ता काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है, लेकिन समय-समय पर दोनों ही देशों ने अपनी नीतियों से सभी नफरतों को खत्म भी किया है, इस बार भारत की बारी थी और ईरान के पक्ष में खड़े रहकर भारत ने एक बार फिर ईरान के साथ अपने रिश्तों की डोर मज़बूत कर ली है, जो कि, भविष्य में भारत के लिए सुगम साबित होगा।
बुधवार महिला अधिकारों के ख़िलाफ़ ईरान की नीतियों पर विश्व भर की नज़रें हैं। ईरान को संयुक्त राष्ट्र के महिला अधिकार कमिशन(कमिशन ऑन स्टेट्स ऑफ वीमेन) से हटाए जाने के लिए अमेरिका ने एक प्रस्ताव पारित किया है। इस पारित प्रस्ताव को लेकर विश्व भर के देशों से वोटिंग भी करवाई गई। इस वोटिंग से 16 देशों नें अपनी दूरी बना ली है, जिसमें भारत का नाम भी शामिल है।
इस घटना से यह प्रतीत होता है कि, भारत समेत यह 16 देश ईरान के पक्ष में खड़े हैं लेकिन चीन एवं रूस समेत पांच देशों ने ईरान के खिलाफ वोट का विरोध भी किया है। यहाँ बस एक ही सवाल उठता है कि, आखिर भारत ईरान को क्यों नाराज़ नहीं करना चाहता क्या ईरान का महत्व भारत के समक्ष अमेरिका से ज्यादा है?
ईरान में हिजाब के खिलाफ लगातार चल रहे विरोध प्रदर्शन को लेकर ईराने के कुर्दिस्तान प्रांत में 22 वर्षिय स्त्री महसा अमीनी को पुलिस ने हिरासत मे ले लिया था। अमीनी की दुर्भाग्यपूर्ण मौत पुलिस हिरासत में ही हो गई। अमीनी की मौत के खिलाफ ईरान की कार्रावाई को अमेरिका द्वारा दमनकारी बताया गया है जिसके चलते अमेरिका ने ईरान को संयुक्त राष्ट्र के महिला अधिकार कमिशन से हटाए जाने का प्रस्ताव पारित कर दिया है। जिससे भारत ने दूरी बना ली है।