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अमेरिकी वैज्ञानिकों का कमाल, न्यूक्लियर फ्यूजन से पैदा हुई साफ और सुरक्षित ऊर्जा

नई दिल्ली। अमेरिका की लॉरेंस लिवरमोर नेशनल लैब के वैज्ञानिकों ने ऊर्जा के क्षेत्र में बहुत बड़ी कामयाबी हासिल की है। बता दें , उन्होंने न्यूक्लियर फ्यूजन एनर्जी की मदद से भविष्य में क्लाइमेट चेंज से लड़ने का रास्ता ढूंढ निकला है। यह ऊर्जा पूरी तरह साफ, सुरक्षित और असीमित भंडार मानी जाती है ,जो […]

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clean and safe energy born from nuclear fusion
  • December 16, 2022 11:18 am Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली। अमेरिका की लॉरेंस लिवरमोर नेशनल लैब के वैज्ञानिकों ने ऊर्जा के क्षेत्र में बहुत बड़ी कामयाबी हासिल की है। बता दें , उन्होंने न्यूक्लियर फ्यूजन एनर्जी की मदद से भविष्य में क्लाइमेट चेंज से लड़ने का रास्ता ढूंढ निकला है। यह ऊर्जा पूरी तरह साफ, सुरक्षित और असीमित भंडार मानी जाती है ,जो कि आस – पास कि हवा को साफ़ करता है ।

क्या है एक्सपेरिमेंट की कामयाबी

जानकारी के लिए बता दे , दो तरह के न्यूक्लियर रिएक्शन से ऊर्जा पैदा होती है- पहला न्यूक्लियर फिजन और दूसरा न्यूक्लियर फ्यूजन। जो फिजन पर आधारित पावर प्लांट्स 1950 के दशक से मौजूद हैं, लेकिन जितने भी रिसर्चर्स है वो सालों से न्यूक्लियर फ्यूजन से ऊर्जा पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। एनर्जी का यह सोर्स बेहद साफ और सुरक्षित होता है और फायदेमंद भी । अगर वैज्ञानिकों कि माने तो इससे हमारी फॉसिल फ्यूल पर निर्भरता खत्म हो जाएगी, जिससे क्लाइमेट चेंज में कमी आएगी। बताया जा रहा है कि अमेरिकी रिसर्चर्स ने जो प्रयोग किया है, उसमें एक ऐसा न्यूक्लियर फ्यूजन रिएक्टर बनाया गया है, जो खपत की तुलना में ज्यादा ऊर्जा का उत्पादन करके देता है और ऐसा विश्व में पहली बार हुआ है।

10 साल में होगी फायदेमंद

फ्यूजन एनर्जी जो कि 10 करोड़ डिग्री सेल्सियस या उससे ज्यादा तापमान पर पैदा होती है। मिली जानकारी के मुताबिक अमेरिकी रिसर्चर्स ने भी सूर्य की तरह भारी तापमान में फ्यूजन एनर्जी का उत्पादन किया है । एक बार फ्यूजन एनर्जी मार्केट में आने के बाद हमें बिना किसी रेडियोएक्टिव बायप्रोडक्ट के कार्बन-फ्री इलेक्ट्रिसिटी मिल सकती है । दुनिया के बड़े बिजनेसमैन जैसे जेफ बेजोस और बिल गेट्स ने भी इस टेक्नोलॉजी में निवेश किया है और उनको ये प्रोजेक्ट काफी पसंद भी आया है । बता दें , पिछले एक साल में ही 230 अरब रुपए का निवेश हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार साल 2030 के बाद इससे दुनिया में बिजली का उत्पादन मुमकिन है।

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