नई दिल्ली। हमेशा ख्यालों में खोए रहना फैंटेसी डिसऑर्डर भी हो सकता है। लंदन से आई एक रिपोर्ट के मुताबिक एक आम इंसान रोज अपना 30% समय जागते हुए सपने देखने में ही बर्बाद कर देता है और अपने आसपास एक तरह की ख्याली दुनिया बुनकर उसमें लंबे समय तक डूबे रहता है। अगर […]
नई दिल्ली। हमेशा ख्यालों में खोए रहना फैंटेसी डिसऑर्डर भी हो सकता है। लंदन से आई एक रिपोर्ट के मुताबिक एक आम इंसान रोज अपना 30% समय जागते हुए सपने देखने में ही बर्बाद कर देता है और अपने आसपास एक तरह की ख्याली दुनिया बुनकर उसमें लंबे समय तक डूबे रहता है। अगर ये डे – ड्रीमिंग करना आपको अच्छा लगता है तो बता दें ये मर्ज है, इसके नुकसान की लिस्ट लंबी है, इसकी वजह से आप अपने काम पर ध्यान नहीं दे पाते और काफी वक़्त बर्बाद करते है।
डे-ड्रीमिंग आपके अंदर कई दूसरी बीमारियों को भी जन्म दे रही है। इसकी वजह से आपको कई मानसिक बीमारियां हो सकती है जैसे ADHD, एंग्जाइटी, डिप्रेशन और OCD। जो लोग भी अपने बारे में जरूरत से ज्यादा सोच रहे हैं और कुछ बेहतर होने के ख्याली पुलाव पका रहे हैं, वे बीमार हो रहे है क्योंकि इससे कई मानसिक रोग हो सकते है।
जो डे ड्रीमिंग कर रहे है उन्हें इन बीमारियों का एहसास भी नहीं हो रहा है। एक रिपोर्ट से पता चला है कि मैलाडेप्टिव डे-ड्रीमिंग से पीड़ित आधे लोगों को ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर यानि OCD भी है। ऐसे लोग अपने आप को बिजी रखने के लिए सोशल मीडिया पर ज्यादा एक्टिव हो रहे हैं। यहां तक कि इस मानसिक रोग से छुटकारा पाने के उपाय भी ढूंढ़ रहे हैं।
ऐसा नहीं है कि डे-ड्रीमिंग के नुकसान ही हैं अगर देखा जाए तो इसके कुछ मायनों में फायदे भी हैं। अगर यह बीमारी नशे की तरह हावी न हो तो तनाव से निकालने में मदद करती है। अगर रिपोर्ट्स के माने तो अकेलेपन के लिए यह वरदान है और बोरियत दूर करता है।इस से कई समस्याएं सुलझाने में मदद होती है। किसी हादसे या बड़े आघात से लगे सदमे से उबारती है। डे-ड्रीमिंग से इंसान कुछ देर के लिए खुद को भुलावे में रख पाता है और इससे कई चीजें भुलाने में मदद मिलती है। कई बार ये मासिक रोगों के लिए दवा जसा काम करता है।
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