रायपुर। कांग्रेस को हिमाचल में मिली बड़ी जीत की वजह कहीं न कहीं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री की सियासी रणनीती को माना जा रहा है। वहीं दूसरी ओर छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले की भानुप्रतापपुरा सीट विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भी कांग्रेस ने अपना झंडा गाड़ दिया है। इस जीत के पीछे भूपेश बघेल की […]
रायपुर। कांग्रेस को हिमाचल में मिली बड़ी जीत की वजह कहीं न कहीं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री की सियासी रणनीती को माना जा रहा है। वहीं दूसरी ओर छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले की भानुप्रतापपुरा सीट विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भी कांग्रेस ने अपना झंडा गाड़ दिया है। इस जीत के पीछे भूपेश बघेल की रणनीती की वाहवाही की जा रही है। जिसके कारण कांग्रेस में सचिन पायलट और अशोक गहलोत की अपेक्षा बघेल के कद को बढ़ता हुआ देखा जा सकेगा।
कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश में अपना घोषणा पत्र भूपेश बघेल की उन योजनाओं को ध्यान में रखकर बनाया था, जिसमें उन्होने युवाओं को 5 लाख नौकरियों के साथ-साथ महिलाओं के लिए हर महीने 1500 रुपए देने की की घोषणा की थी वहीं कैबिनेट की पहली बैठक में ही एक लाख रोज़गार देने का वादा कांग्रेस की जीत में अहम रहा।
सियासत का जादूगर कहे जाने वाले अशोक गहलोत को कांग्रेस के द्वारा गुजरात चुनाव में सीनियर ऑब्जर्वर के रूप में नियुक्त किया था। वहीं दूसरी ओर हिमाचल के चुनावों की समस्त जिम्मेदारी सीएम भूपेश बघेल को दी थी। कांग्रेस दोनों ही सीएम पर पूरा भरोसा था कि, वह दोनों राज्यों की जीत कांग्रेस की झोली में डाल देंगे।
दोनों राज्यों के नतीजे सामने आने के बाद यह तो तय हो गया कि, गुजरात में गहलोत नाकाम रहे वहीं हिमाचल में बघेल ने जादुई जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई। हिमाचल में बघेल की रणनीति काम कर गई, यहाँ उन्होने कांग्रेस को 68 में से 40 सीटें जितवाने में अहम भूमिका निभाई। यहाँ भाजपा को केवल 25 सीटें ही मिलीं जबकि अगला विकल्प बनने वाले केजरीवाल यहाँ पर अपना खाता तक नहीं खोल पाए। हार्स ट्रेडिंग के भय से सीएम बघेल ने हिमाचल प्रदेश में ही अपना डेरा डाल दिया था।