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खतौली उपचुनाव: ख़त्म हुआ पहला राउंड पलटी बाजी, रालोद के मदन भैया आगे

खतौली : मतगणना के समय जहां भाजपा और रालोद में कांटे की टक्कर देखने को मिल रही थी वहीं अब मदन भैया ने इस सीट पर बढ़त बना ली है. भाजपा को पीछे छोड़कर गठबंधन प्रत्याशी मदन भैया आगे निकल गए हैं. जहां पहले राउंड में उन्हें मदन भैया (गठबंधन) को 3808 वोट मिले हैं. […]

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खतौली उपचुनाव: ख़त्म हुआ पहला राउंड पलटी बाजी, रालोद के मदन भैया आगे
  • December 8, 2022 9:30 am Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

खतौली : मतगणना के समय जहां भाजपा और रालोद में कांटे की टक्कर देखने को मिल रही थी वहीं अब मदन भैया ने इस सीट पर बढ़त बना ली है. भाजपा को पीछे छोड़कर गठबंधन प्रत्याशी मदन भैया आगे निकल गए हैं. जहां पहले राउंड में उन्हें मदन भैया (गठबंधन) को 3808 वोट मिले हैं. वहीं भाजपा की राजकुमारी को 2416 वोट मिले हैं.

बीजेपी और सपा-रालोद में मुख्य टक्कर

RLD नेता जयंत चौधरी के लिए ये चुनाव बेहद अहमियत रखते हैं. क्योंकि इस सीट पर जीत पश्चिम में उनका कद और वजूद और मजबूत करेगी. जबकि भाजपा की जीत विपक्ष को हराने पर एक संदेश स्थापित करेगी. इस उपचुनाव में मुख्य टक्कर बीजेपी और सपा-रालोद गठबंधन के बीच है. 2024 के आम चुनाव से पहले इस उपचुनाव को बतौर मनोवैज्ञानिक युद्ध देखा जा रहा है. 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों का केंद्र रहाखतौली कस्बा भाजपा के अंदर रहा है. हालांकि इस बार सपा-रालोद गठबंधन सत्तारूढ़ दल को कड़ी चुनौती दे रहा है.

दूर है कांग्रेस और बसपा

खतौली विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो यह मुजफ्फरनगर शहर से 25 किमी दक्षिण में स्थित है. इस उपचुनाव से कांग्रेस और बीएसपी दूर है जिस कारण बीजेपी और सपा-रालोद के बीच सीधी टक्कर रहेगी।2013 के दंगों के एक मामले में जिला अदालत ने बीजेपी विधायक विक्रम सिंह सैनी को दोषी करार दिया था. जहां विधायक जी को दो साल कैद की सजा सुनाई थी, इस वजह से इस सीट पर उपचुनाव करवाए जा रहे हैं. चार बार के विधायक और रालोद उम्मीदवार मदन भैया भी इस बार मैदान में है. मदन भैया ने 15 साल पहले जीता था. गाजियाबाद के लोनी से 2012, 2017 और 2022 के विधानसभा चुनावों में उन्हें लगातार तीन बार हार मिली. ऐसे में ये उपचुनाव उनके लिए भी काफी मायने रखते हैं.

मदन भैया पर सपा का गुर्जर दांव

रालोद ने खतौली के उप चुनाव में पूर्व विधायक मदन भैया को मैदान में उतारकर पश्चिम यूपी में गुर्जरों को साधने की कोशिश की है, वहीं परिसीमन के कारण खेकड़ा विधानसभा का वजूद अब पूरी तरह खत्म हो गया है, दूसरी ओर लोनी में एक के बाद एक तीन हार के बाद मदन भैया भी नई सियासी जमीन की तलाश में थे, ऐसे में उपचुनाव का मौका बना तो रालोद ने मौके पर चौका मारते हुए उन्हें टिकट थमा दिया. अब देखने वाली बात यह होगी कि वह खतौली में कितना दमखम दिखा पाते हैं।

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