साल 2013 के जून महीने में केदार घाटी में आई प्राकृतिक आपदा ने पूरी घाटी में भयंकर तबाही मचा दी थी. इस आपदा में बहकर आए लाखों टन मलबे से केदारनाथ मंदिर भी क्षतिग्रस्त हो गया था. लेकिन अब आपदा का वही मलबा केदारनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण की बुनियाद गढ़ रहा है.
देहरादून. साल 2013 के जून महीने में केदार घाटी में आई प्राकृतिक आपदा ने पूरी घाटी में भयंकर तबाही मचा दी थी. इस आपदा में बहकर आए लाखों टन मलबे से केदारनाथ मंदिर भी क्षतिग्रस्त हो गया था. लेकिन अब आपदा का वही मलबा केदारनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण की बुनियाद गढ़ रहा है.
मंदिर परिसर की जगह में पुनर्निर्माण कार्यों में इस मलबे के ढेर से ही ईंट और टाइल्स तैयार किए जा रहे हैं. बता दें कि आपदा के इस सैलाब में बाबा केदार का पौराणिक मंदिर सलामत रहा क्योंकि मंदिर के पीछे एक बड़ी चट्टान के अटकने से सैलाब का रुख मलबे के साथ मंदिर परिसर को छूता हुआ दो अलग धाराओं में बदल गया.
इस भीषण त्रासदी के बाद केदारनाथ में पुनर्निर्माण की चुनौती बहुत बड़ी थी. उत्तराखंड सरकार ने नेहरू इंस्टीट्यूट आफ माउंटेनियरिग को इसकी जिम्मेदारी सौंपी. ऐसे में निम ने सरकार से अनुमति लेकर केदारनाथ में आपदा के दौरान एकत्र मलबे को ही निर्माण सामग्री के रूप में इस्तेमाल करना शुरू किया. इस मलबे के बजरी व पत्थर से इंटरलॉकिंग टाइल्स का निर्माण किया और सड़क बनाने में भी इसका इस्तेमाल भी किया.