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गुजरात चुनाव: पहले चरण के मतदान में किसको फायदा? किसका नुकसान?

गुजरात चुनाव: नई दिल्ली। गुजरात विधानसभा 2022 के चुनाव की शुरुआत हो चुकी है, इस बार का विधानसभा चुनाव त्रिकोणीय दिखाई दे रहा है जिसमें भाजपा और कांग्रेस पार्टी के अलावा आम आदमी पार्टी भी चुनावी समर में ताल ठोक रही है। चुनाव आयोग के मुताबिक पहले चरण की 89 सीटों पर 60 फ़ीसदी से […]

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गुजरात चुनाव: पहले चरण के मतदान में किसको फायदा? किसका नुकसान?
  • December 2, 2022 2:12 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

गुजरात चुनाव:

नई दिल्ली। गुजरात विधानसभा 2022 के चुनाव की शुरुआत हो चुकी है, इस बार का विधानसभा चुनाव त्रिकोणीय दिखाई दे रहा है जिसमें भाजपा और कांग्रेस पार्टी के अलावा आम आदमी पार्टी भी चुनावी समर में ताल ठोक रही है। चुनाव आयोग के मुताबिक पहले चरण की 89 सीटों पर 60 फ़ीसदी से ज़्यादा मतदान हुआ है जो कि 2017 विधानसभा चुनाव से कम है।

पहले चरण के मतदान वाली सीटें वे रहीं जहां पर भाजपा और कांग्रेस के बीच मुकाबला काफी कड़ा होता है। पहले चरण की गुजरात विधानसभा मतदान में 19 ज़िलों के 788 प्रत्याशियों की क़िस्मत मतपेटी में क़ैद हो चुकी है, ऐसा माना जा रहा है कि इस बार के चुनावों में पिछली बार की तरह भारी मतदान नहीं हुआ है। इस बार मतदान 60 प्रतिशत से ज़्यादा हुआ है जबकि 2017 के विधानसभा चुनावों में वोटिंग प्रतिशत 68 फ़ीसदी तक पहुंच गई थी।

कैसा रहा पहले चरण का मतदान?

पहले चरण के मतदान को देखा जाए तो यह बात एकदम साफ़ हो जाती है कि सौराष्ट्र, कच्छ और दक्षिण गुजरात के ज़िलों में कुल वोटिंग में 8 प्रतिशत की गिरावट आई है। वहीं अगर हम बात करें 2012 गुजरात विधानसभा के चुनावों की तो उस वक्त के पहले चरण में कुल 70.75 फ़ीसदी मतदान हुए थे, इस लिहाज़ से इस बार के चुनावों के बारे में हम कह सकते हैं कि जनता ने मतदान में कम रुचि दिखाई है। इस पूरे मसले पर तमाम राजनीतिक दल अपनी नज़र बनाए हुए हैं और सभी दलों में इस बात को लेकर आकलन किया जा रहा है कि इस वोटिंग पैटर्न से किस पार्टी को फ़ायदा और किस पार्टी को नुकसान होने वाला है।

सौराष्ट्र और कच्छ कम मतदान हुआ

सौराष्ट्र और कच्छ के मोरबी में इसबार 54 प्रतिशत वोट पड़े हैं, ग़ौरतलब है कि यह इलाका पाटीदारों, आदिवासी और ओ.बी.सी. बहुल इलाका है। यहां सभी राजनीतिक पार्टियां कम मतदान के कई मायने निकाल रही हैं, हालाकि इस बार के चुनावों में पाटीदार नेता हार्दिक पटेल भाजपा में शामिल हो चुके हैं और उन्होंने इस बात को साफ़ कर दिया है कि पाटीदार आबादी को मौजूदा सरकार से बहुत मदद मिली है और वो अब सरकार के साथ मिलकर पाटीदारों का भविष्य बेहतर बनाने के लिए अग्रसर हैं।

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