पटना. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को बिहार के सीतामढ़ी में चुनावी रैली के दौरान नीतीश कुमार के उनको लेकर सुनाए गए गाने को आड़े हाथों लिया. मोदी ने कहा कि महागठबंधन में मनोरंजन करने की होड़ लगी है. मैं जानता था कि लालू जी मनोरंजन करते हैं लेकिन अब तो नीतीश कुमार भी मुशायरा करने लगे हैं. बता दें कि नीतीश ने कल एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान पैरोडी गाना गाकर मोदी का मज़ाक उड़ाया था.
वाल्मीकि जयंती की दी बधाई
मोदी ने कहा कि गठबंधन में तीन पार्टनर हैं और नीतीश ने जिस फिल्म के गाने की लाइन्स बोली वह फिल्म भी ‘थ्री इडियट’ की थी. आज वाल्मिकी जयंती है. लाखों लाखों लोग इस धूप में मुझे आशीर्वाद देने आए हैं. ऐसा सौभाग्य शायद ही किसी को मिलता है. हमारे लिए पांच साल सत्ता सुख का अवसर नहीं है. दिल्ली में हम सत्ता सुख भोगने के लिए नहीं बैठे हैं. 16 माह हो गए एक दिन भी मैंने छुट्टी नहीं ली है.
मेरे लिए सत्ता सुख का नहीं यह तो मेरे लिए सेवा यज्ञ है. जिसमें मैं शरीर का कण- कण आपकी सेवा में लगाना चाहता हूं. सेवा समर्पण टीवी के पर्दे पर दिखाई दे या न दे अखबार में नजर आए या न आए, लेकिन 16 माह के सेवा की सुगंध मुझे यहां नजर आ रही है. यही सुगंध हमें खप जाने की ताकत देती है. इस चुनाव में विकास राज का मत है तो दूसरी ओर अवसरवाद की गूंज है. एक तरफ विकासवाद का आलेख है तो दूसरी तरफ अपवित्र गठबंधन का खेल खेला जा रहा है. एक तरफ विकासवाद का विचार है तो दूसरी तरफ विनाश का खेल खेला जा रहा है. अगर हमें अपने समस्याओं से मुक्त होना है तो उसके लिए एक ही जड़ी बूटी काम आएगी. उस जड़ी बूटी का नाम नरेंद्र मोदी नहीं विकास है.
नीतीश-लालू तंत्र-मंत्र में फंसे हुए हैं
मोदी ने कहा कि मैं सीतामढ़ी के लोगों से पूछना चाहता हूं कि क्या जंतर मंतर उनका बचा सकता है, जंतर मंतर से उनके पाप धूल सकते है, जंतर मंतर से नौजवानों को रोजगार मिल सकता है, बिजली आ सकती है. क्या जंतर मंतर से किसान को खेत में पानी मिल सकती है. ये जंतर मंतर कर रहे हैं. अहंकार इंसान को कहां ले जाता है. जब वो लालू जी की शरण में गए तब लग रहा था कि वह बचने के लिए रास्ते खोज रहे हैं. जब मैडम सोनिया गांधी की शरण में चले गए तो मुझे लगा कि उन्होंने लोहिया जी को छोड़ दिया कर्पूरी जी को छोड़ दिया. जब कुछ काम नहीं आया तो जंतर मंतर वालों के पास जाने लगे. वह बिहार की जनता का अपमान कर रहे हैं. वह 21वीं सदी में जाने की बजाए 18वीं सदी में जा रहे हैं. क्या हिन्दूस्तान को मंत्र तंत्र चाहिए कि लोकतंत्र चाहिए. यह मंत्र तंत्र अब हटना चाहिए, 18वीं सदी की बात हटनी चाहिए और बिहार को 21वीं सदी में ले जाना चाहिए.