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आज भी क्यों अधूरा है 1200 साल पुराना यह प्राचीन शिव मंदिर, जानिए क्या है मामला?

रायपुर: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में आज भी एक प्राचीन शिव मंदिर 1200 साल से अधूरा पड़ा है. इस मंदिर की कहानी के बारे में जानकर आप चकित रह जाएंगे। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में एक प्राचीन शिव मंदिर 1200 साल से अधूरा है. ये मंदिर रायपुर जिले के चंदखुरी गांव में स्थित है. इस […]

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आज भी क्यों अधूरा है 1200 साल पुराना यह प्राचीन शिव मंदिर, जानिए क्या है मामला?
  • November 29, 2022 9:48 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

रायपुर: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में आज भी एक प्राचीन शिव मंदिर 1200 साल से अधूरा पड़ा है. इस मंदिर की कहानी के बारे में जानकर आप चकित रह जाएंगे।

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में एक प्राचीन शिव मंदिर 1200 साल से अधूरा है. ये मंदिर रायपुर जिले के चंदखुरी गांव में स्थित है. इस मंदिर को गांव में फूटहा मंदिर और छैमासी मंदिर के नाम से जानते है. इस मंदिर निर्माण की कहानी सबको चकित कर देने वाली है. इसके अधूरेपन की कथा भी दिलचस्प है. आज हम आपको इस मंदिर की कहानी से रूबरू कराएंगे।

छैमासी अंधेरे में हुआ मंदिर का निर्माण

दरअसल रायपुर शहर से करीब 35 किलोमीटर दूर चंदखूरी गांव पड़ता है. इस गांव के बीच में प्राचीन शिव मंदिर स्थित है. इसे पुरातत्त्व विभाग ने खोज है. इसके अलावा आसपास की खुदाई में ढेर सारी खंडित मूर्तियां भी पुरातत्व विभाग को मिली है. इस मंदिर को सोमवंशी राजाओं ने बनवाया है. लेकिन सोमवंशी राजा ने इस मंदिर को केवल रात के समय में ही बनाया गया है. दिन होने पर निर्माण कार्यक्रम रोक दिया गया जो आजतक अधूरा पड़ा है।

मंदिर निर्माण की क्या है कहानी

मंदिर तीन खंडों में है और बड़े बड़े पत्थरों से मंदिर का निर्माण किया गया है. उस समय सोमवंशी राजा ने हाथियों की सहायता से बड़े बड़े पत्थर लाए और इस मंदिर में लगवाया गया है. मंदिर के निकट डोमन पटेल का घर है. डोमन इस मंदिर को बचपन से देखते आ रहे है. उन्होंने इस मंदिर की कहानी बताई है. उन्होंने बताया कि इस मंदिर का नाम छैमासी मंदिर है. हमारे पूर्वजों ने इसकी कहानी बताई है. जिसके मुताबिक 6 महीने की रात के अंधेरे में मंदिर को बनवाया गया है. जब सूर्योदय हुआ तो मंदिर बनाने का काम रोक दिया गया. इसलिए आज भी ये मंदिर आधा अधूरा पड़ा है.

इस तलाब में नहाते थे रानी-राजा

डोमन पटेल ने कहा कि गांव में कई खंडित मूर्तियां पुरातत्व विभाग की खुदाई में मिली है. गांव के तालाब के पास एक प्राचीन मूर्ति मिली है. इसके अलावा कई सारी मूर्तियां खुदाई में मिली है. यहां एक सुरंग भी है जो जमीन के अंदर से तीनों तालाब में प्रवेश करती है. एक रानी तालाब है जिसमें रानी-राजा नहाते थे. उसी तालाब के निकट एक मूर्ति मिली है।

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