मुंबई. महाराष्ट्र और कर्नाटक सीमा विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट कल यानी 30 नवंबर को सुनवाई करने वाला है. दोनों राज्यों के बीच पांच दशकों से सीमा को लेकर ये विवाद चल रहा है. साल 1947 में आजादी मिलने के बाद देश में भाषाई आधार पर राज्यों के बंटवारे की मांग उठने लगी थी, इस […]
मुंबई. महाराष्ट्र और कर्नाटक सीमा विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट कल यानी 30 नवंबर को सुनवाई करने वाला है. दोनों राज्यों के बीच पांच दशकों से सीमा को लेकर ये विवाद चल रहा है. साल 1947 में आजादी मिलने के बाद देश में भाषाई आधार पर राज्यों के बंटवारे की मांग उठने लगी थी, इस मामले में पहले श्याम धर कृष्ण आयोग बना. इस आयोग ने भाषाई आधार पर राज्यों के गठन को देशहित के खिलाफ बताया, वहीं इस सीमा विवाद पर कर्नाटक के सीएम बसवराज बोम्मई ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने सीमा के मुद्दे को लेकर 2004 में सुप्रीम कोर्ट में केस दायर की थी, लेकिन उन्हें अब तक इस मामले में कामयाबी नहीं मिली है और आगे भी नहीं मिलेगी.
वहीं इस मामले में हाल ही में महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा था, ‘महाराष्ट्र का कोई भी गांव कर्नाटक में नहीं जाएगा और अब शिंडे सरकार इस मामले में कर्नाटक के बेलगाम, निप्पणी और कारावार जैसे मराठी भाषी गांवों को पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में मजबूती से लड़ाई लड़ने वाली है.’
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने देवेंद्र फडणवीस के इस बयान को भड़काऊ बयान बताया और कहा, ‘उनका (फडणवीस) सपना कभी पूरा नहीं हो पाएगा. हमारी सरकार राज्य की जमीन, जल और सीमा की सुरक्षा करने के लिए पूरी तरह समर्पित है.’ इसी कड़ी में बोम्मई ने कहा कि कर्नाटक के सीमावर्ती जिलों का कोई भी हिस्सा छोड़ने का तो सवाल आता ही नहीं है, उन्होंने तो ये भी कहा कि हमारी मांग तो ये है कि महाराष्ट्र के सोलापुर और अक्कलकोट जैसे कन्नड़ भाषी इलाकों को कर्नाटक में मिला देना चाहिए तो इन इलाकों के महाराष्ट्र में शामिल होने का कोई सवाल ही नहीं पैदा होता है. ऐसे में, बोम्मई ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने सीमा विवाद के मुद्दे को लेकर 2004 में सुप्रीम कोर्ट में केस दायर किया था और 30 नवंबर को इस मामले में सुनवाई भी होनी है.
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