देहरादून. उत्तराखंड में धर्मांतरण कानून में संशोधन कर दिया गया है. दरअसल, 16 नवंबर, 2022 को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में उत्तराखंड कैबिनेट की बैठक हुई थी, इस बैठक में उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक 2022 पर मुहर लग गई थी. और अब धर्मांतरण कानून में संशोधन किया गया है. इसके तहत अब […]
देहरादून. उत्तराखंड में धर्मांतरण कानून में संशोधन कर दिया गया है. दरअसल, 16 नवंबर, 2022 को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में उत्तराखंड कैबिनेट की बैठक हुई थी, इस बैठक में उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक 2022 पर मुहर लग गई थी. और अब धर्मांतरण कानून में संशोधन किया गया है. इसके तहत अब उत्तराखंड में जबरन धर्मांतरण कराने वालों को दो से लेकर सात साल तक की सज़ा होगी.
बता दें, उत्तर प्रदेश में एक व्यक्ति का जबरन धर्मांतरण करने पर एक से पाँच साल की सजा और 25 हज़ार रुपए जुर्माना का प्रावधान है, जबकि उत्तराखंड में ऐसा करने पर दो से सात साल की सजा होगी और 25 हज़ार जुर्माना लगाया जाएगा. वहीं, प्रदेश में सामूहिक धर्मांतरण के मामले में अब तीन से लेकर दस साल तक की सजा होगी, दरअसल पहले अधिकतम सज़ा तीन साल की ही हो सकती थी जिसमें अब संशोधन किया गया है. साथ ही पीड़ितों को कोर्ट के माध्यम से पाँच लाख रुपए की प्रतिपूर्ति भी मिलेगी. अब तक मिली जानकारी के मुताबिक, प्रदेश में धर्मांतरण का कानून अब संज्ञेय व गैर जमानती अपराध की श्रेणी में आएगा जबकि पहले ये एक असंज्ञेय अपराध था.
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