नई दिल्ली: साइबेरिया के पर्माफ्रॉस्ट बर्फ में 48,500 साल से सो रहे वायरसों को वैज्ञानिकों ने फिर से जगा दिया है. इनमें से एक का नाम “मेगावायरस मैमथ” है. ये वायरस उस युग का है. जब साइबेरिया में हाथियों के पूर्वज मैमथ चक्कर लगाते थे. क्या इन वायरसों से इंसानों को खतरा है? हिमयुग के […]
नई दिल्ली: साइबेरिया के पर्माफ्रॉस्ट बर्फ में 48,500 साल से सो रहे वायरसों को वैज्ञानिकों ने फिर से जगा दिया है. इनमें से एक का नाम “मेगावायरस मैमथ” है. ये वायरस उस युग का है. जब साइबेरिया में हाथियों के पूर्वज मैमथ चक्कर लगाते थे. क्या इन वायरसों से इंसानों को खतरा है?
हिमयुग के समय से साइबेरिया के पर्माफ्रॉस्ट बर्फ में कई वायरस दबे हुए हैं. वैज्ञानिकों ने इनमें से कुछ को बाहर निकालकर जिंदा कर दिया है. यह रिसर्च रिस्की है लेकिन जरूरी भी है. जिस तरह से ग्लोबल वॉर्मिंग से बर्फ पिघलकर बाहर आ रही है. अचानक वायरस का संक्रमण फैलेगा तो इससे अधिक खतरा होगा. इसलिए साइंटिस्ट पहले ही इन वायरसों को खोजकर उनका अध्ययन कर लेना चाहते हैं. ताकि समय से पहले संक्रमण से बचने का तरीका निकल सके।
इन वायरसों को लेकर एक अध्ययन किया गया पेपर भी सबमिट किया गया है. लेकिन उसका अभी तक अनुसंधान नहीं हुआ है. इस पेपर में बताया गया है कि रूस के सुदूर पूर्वी इलाके में स्थित साइबेरिया के पर्माफ्रॉस्ट से भिन्न-भिन्न 5 प्रजातियों के 13 वायरसों को खोजा गया है. सैंपल कलेक्ट किए गए कुछ वायरस 48,500 साल पुराने हैं. इतने दिनों से ये बर्फ में दबे सो रहे थे।
इनमें से जो 3 वायरस बिल्कुल नए हैं. उनकी उम्र करीब 27 हजार साल है. इन वायरसों को मैमथ के मल से प्राप्त किया गया है, जो मैमथ के बालों में लगा हुआ था. बर्फ में जमे वायरसों का नाम दिया गया है-पिथोवायरस मैमथ, पैंडोरावायरस मैमथ, मेगावायरस मैमथ के अलावा बर्फ में मृत मिले साइबेरियन भेड़िये के पेट से 2 नए वायरसों को खोजा गया है. जिसका नाम पैकमैनवायरस लुपुस और पैंडोरावायरस लुपुस है।
इन वायरसों की जांच करने पर पता चला कि ये मिट्टी और पानी में मौजूद सिंगल सेल वाले अमीबा को संक्रमित करते हैं. अगर वातावरण के साथ मौका मिले तो खतरनाक पैथोजन बन सकते हैं. यानी भविष्य में बड़े लेवल की महामारी हो सकते है. ये अब खुद को रेप्लीकेट करने में सक्षम हैं।
फ्रांस की एक्स-मार्सील यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने यह रिसर्च किया कि इससे पहले भी साइबेरिया में 30 हजार साल पुराने वायरसों की खोज की थी. लेकिन अब वैज्ञानिकों ने 48,500 साल पुराने वायरसों की भी खोज कर ली है. यानी ये धरती पर मौजूद अब तक के सबसे प्राचीन वायरस के नाम से जाने जाएंगे।
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