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राजधानी भोपाल के सिंघाड़े गुजरात-महाराष्ट्र में घोल रहे मिठास, नुकसान के बाद भी 3.5 लाख किलो पैदावार

भोपाल: इस बार भोपाल में अधिक बारिश होने की वजह से सिंघाड़े के उत्पादन में लगभग 50% से ज्यादा का नुकसान हुआ है. किसानों के अनुसार हर साल करीब 3 लाख से 6 लाख किलो तक सिंघाड़े की पैदावार होती थी। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के सिंघाड़े प्रदेश सहित गुजरात और महाराष्ट्र में हर […]

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राजधानी भोपाल के सिंघाड़े गुजरात-महाराष्ट्र में घोल रहे मिठास, नुकसान के बाद भी 3.5 लाख किलो पैदावार
  • November 21, 2022 12:49 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

भोपाल: इस बार भोपाल में अधिक बारिश होने की वजह से सिंघाड़े के उत्पादन में लगभग 50% से ज्यादा का नुकसान हुआ है. किसानों के अनुसार हर साल करीब 3 लाख से 6 लाख किलो तक सिंघाड़े की पैदावार होती थी।

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के सिंघाड़े प्रदेश सहित गुजरात और महाराष्ट्र में हर साल की तरह अपनी मिठास घोल रहे हैं. दरअसल, भोपाल के बड़े तालाब में करीब 60 हेक्टेयर में सिंघाड़े की खेती की गई है. हालांकि, इस बार तेज बारिश होने की वजह से नुकसान के बावजूद भी भोपाल के बड़े तालाब में 3.5 लाख किलो सिंगाड़े की पैदावार हुई है।

50% से अधिक का नुकसान

किसानों द्वारा भोपाल के बड़े तालाब में सिंघाड़े की खेती की जाती है. यहां किसान नावों के माध्यम से दिन भर सिंघाड़े निकालते हुए इन दिनों देखे जा रहे हैं. भोपाल के बड़े तालाब में लगने वाले सिंघाड़ों का स्वाद अच्छा होता है. मध्य प्रदेश की राजधानी में उगे सिंघाड़े की डिमांड भोपाल सहित मध्य प्रदेश के अन्य शहरों के अलावा गुजरात अहमदाबाद पुणे मुंबई सहित अन्य महानगरों में हो रही है. किसानों के अनुसार इस बार भोपाल में हुई अत्याधिक बारिश होने की वजह से सिंघाड़े के उत्पादन में लगभग 50% से अधिक का नुकसान हुआ है. किसानों के मुताबिक हर साल करीब 3.5 लाख से 6 लाख किलो तक सिंगाड़ों की पैदावार होती थी, लेकिन इस बार 3.5 लाख किलो ही सिंघाड़े की पैदावार हुई है।

12 महीने ही होती है खेती

मध्य प्रदेश के अन्य शहरों में पूर्ति के बावजूद भी प्रदेश से बाहर महाराष्ट्र और गुजरात में 1.70 लाख किलो सिंघाड़े का निर्यात किया गया है. किसानों के अनुसार भोपाल के बड़े तालाब में काली मिट्टी है, जो सिंघाड़े की खेती के लिए सही है. यही वजह है कि इसमें 12 महीने ही सिंघाड़े की खेती की जाती है. किसानों के मुताबिक रायकवार समाज के लोगों द्वारा यहां सिंघाड़े की खेती होती है।

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