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साकेत कोर्ट ने आफ़ताब का नारकोटिक्स करने के लिए दिया 5 दिनों का समय

नई दिल्ली. श्रद्धा हत्याकांड ने हर किसी को चौंका दिया है, हर कोई सदमे में है. ऐसे में, श्रद्धा के सिर को तलाश करने के लिए दिल्ली पुलिस जोर-शोर से जुट गई है. ऐसे में, साकेत कोर्ट ने रोहिणी फॉरेंसिक साइंस लैब को 5 दिन के अंदर आपका नारकोटिक्स करने का आदेश दे दिया, इस […]

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साकेत कोर्ट ने आफ़ताब का नारकोटिक्स करने के लिए दिया 5 दिनों का समय
  • November 18, 2022 6:44 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली. श्रद्धा हत्याकांड ने हर किसी को चौंका दिया है, हर कोई सदमे में है. ऐसे में, श्रद्धा के सिर को तलाश करने के लिए दिल्ली पुलिस जोर-शोर से जुट गई है. ऐसे में, साकेत कोर्ट ने रोहिणी फॉरेंसिक साइंस लैब को 5 दिन के अंदर आपका नारकोटिक्स करने का आदेश दे दिया, इस दौरान अदालत ने यह भी आदेश दिए हैं कि आरोपी आफताब पर थर्ड डिग्री का इस्तेमाल न किया जाए, दरअसल जब किसी आरोपी का नारको टेस्ट करवाया जाता है तब उसकी रजामंदी की भी ज़रूरत होती है, ऐसे में अदालत में जब आफताब से पूछा गया कि वह नारको टेस्ट करवाने के लिए तैयार है? तब उसका जवाब था कि ‘I give my consent’

क्या होता है नार्को टेस्ट?

नार्को टेस्ट में एक इंजेक्शन का इस्तेमाल होता है जिसका नाम होता है सोडियम पेंटाेथॉल… इसे ट्रूथ सीरम (Truth Serum) भी कहा जाता है. व्यक्ति के शरीर में इसे इंजेक्ट करते ही उसके होश-हवास में कमी आने लगती है. इसके बाद शख्स धीरे-धीरे अपना होश खोने लगता है और वह अर्द्धबेहोश हो जाता है. इस हालत में पहुँचने के बाद उसके सच बोलने की दर बढ़ जाती है. नतीजतन जाँच व पूछताछ करने वाले को सवालों का सही जवाब मिलता है.

कैसे होता है यह टेस्ट?

यह टेस्ट सायकोलॉजिस्ट की देखरेख में ही किया जाता है. किसी भी अपराधी के नार्को टेस्ट के दौरान जाँच अधिकारी व फॉरेंसिंग एक्सपर्ट भी मौजूद होते हैं. इस टेस्ट में आरोपी को पहले इंजेक्शन दिया जाता है जिसके बाद पूछताछ की प्रक्रिया शुरू की जाती है. जैसा कि हमने आपको बताया इस टेस्ट को काफी संवेदनशील माना जाता है ऐसे में सायकोलॉजिस्ट के निर्देश काफी महत्त्व रखते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि नार्को टेस्ट के जरिये आरोपी के सच कबूलने की संभावना अधिक रहती है.

क्यों किया जाता है नार्को टेस्ट?

जब भी पुलिस को शक होता है कि आरोपी झूठ बोल रहा है या फिर पूरा सच कबूल नहीं कर रहा है नतीजतन तहकीकात में रुकावट पैदा हो रही हैं तब ऐसी स्थिति में नार्को टेस्ट कराया जाता है. लेकिन बताते चलें, पुलिस किसी भी अपराधी का नार्को टेस्ट अपने मन मुताबिक नहीं करा सकती। इसके लिए बकायदा स्थानीय अदालत से मंजूरी लेनी जरूरी है. स्थानीय कोर्ट से मंजूरी मिलने के बाद ही पुलिस को नार्को टेस्ट करने का अधिकार मिलता है.

 

 

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