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कितना खतरनाक है Truth Drug? शातिर अपराधी आफताब पूनावाला पर होगा इस्तेमाल

नई दिल्ली : श्रद्धा वॉकर मर्डर केस ने इस समय दो राज्यों की पुलिस को उलझा रखा है. आरोपी और श्रद्धा के आशिक़ आफताब के खिलाफ पुलिस तमाम कोशिश कर सबूत जमा कर रही है. हालांकि पुलिस को आशंका है कि हत्या की बात कबूल चुका आफताब कोर्ट में पलट सकता है. ऐसे में सच […]

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कितना खतरनाक है Truth Drug? शातिर अपराधी आफताब पूनावाला पर होगा इस्तेमाल
  • November 17, 2022 6:09 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली : श्रद्धा वॉकर मर्डर केस ने इस समय दो राज्यों की पुलिस को उलझा रखा है. आरोपी और श्रद्धा के आशिक़ आफताब के खिलाफ पुलिस तमाम कोशिश कर सबूत जमा कर रही है. हालांकि पुलिस को आशंका है कि हत्या की बात कबूल चुका आफताब कोर्ट में पलट सकता है. ऐसे में सच का पता लगाने के लिए उसका नार्को टेस्ट भी करवाया जाएगा. आइए जानते हैं क्या है ये नार्को टेस्ट जिससे अच्छे-अच्छे अपराधी भी सच उगल देते हैं.

 

अर्धबेहोशी में नहीं बोल सकते झूठ

बेहद खौफनाक वारदात करने वालों का दिमाग भी उनके केस की तरह ही उलझा हुआ होता है. पुलिस की गिरफ्त में ये अपराधी आ तो जाते हैं लेकिन इनपर अपराध साबित कर पाना इतना आसान नहीं होता है. सबूतों की कमी से कोर्ट भी इन अपराधियों को छोड़ देता है. ऐसे में पुलिस की मुश्किलें और भी बढ़ जाती हैं. इसी तरह के मामलों में नार्को टेस्ट की मदद ली जाती है जो एक तरह का केमिकल ड्रग है.इससे व्यक्ति आधी बेहोशी की अवस्था में चला जाता है और धड़ाधड़ सच उगल देता है.

क्या है नार्को टेस्ट?

इस टेस्ट में इंजेक्शन में एक तरह की साइकोएक्टिव दवा मिलाई जाती है. इस ड्रग को आम भाषा में ट्रूथ ड्रग भी कहते हैं. इसमें सोडियम पेंटोथल नाम के केमिकल से युक्त ये ड्रग नसों में उतरते ही कुछ मिनट से लेकर लंबे समय के लिए शख्स को बेहोश कर सकता है. हालांकि ये डोज पर भी निर्भर करता है. इसके बाद अर्धबेहोशी की हालत में बिना किसी जोरआजमाइश के शख्स सच बोलने लगता है.

जानलेवा है ड्रग

कहा जाता है कि दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जब सैनिक अपने देश लौटे थे तो उन्होंने इसी ड्रग के सहारे अपनी सभी प्रताड़नाओं का ज़िक्र किया था. जिसके बाद सिपाहियों का इलाज कर पाना आसान हो गया था. क्योंकि प्रताड़ना के दौरान सैनिकों को किस तरह की प्रताड़ना दी गई थी ये साफ़ नहीं हो पा रहा था. इस ड्रग को देना जानलेवा भी साबित हो सकता है. जब किसी अपराधी पर इसका इस्तेमाल होता है तो उस दौरान एनेस्थीसिया देने वाले, डॉक्टर, मेडिसिन एक्सपर्ट और साइकोलॉजिस्ट के साथ-साथ पुलिस अधिकारी भी मौजूद रहते हैं. आरोपी की मेडिकल जांच होती है और उसके ऑर्गन से जुड़ी, मनोवैज्ञानिक, या कैंसर जैसी कोई बीमारी का भी टेस्ट होता है.

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