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Mainpuri By-Election : चुनौती या चेतावनी? बोले सपा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष- ‘हमसे लड़ने की किसी की हैसियत नहीं’

मैनपुरी : सपा की विरासत कहलाने वाली मैनपुरी लोकसभा सीट को लेकर चुनावी बिगुल बजाया जा चुका है. समाजवादी पार्टी के संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद ये सीट खाली हो गई है. ऐसे में यह सीट सपा के लिए काफी मायने रखती हैं. इस उपचुनाव को भाजपा भी मुख्य […]

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Mainpuri By-Election : चुनौती या चेतावनी? बोले सपा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष- ‘हमसे लड़ने की किसी की हैसियत नहीं’
  • November 13, 2022 9:46 am Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

मैनपुरी : सपा की विरासत कहलाने वाली मैनपुरी लोकसभा सीट को लेकर चुनावी बिगुल बजाया जा चुका है. समाजवादी पार्टी के संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद ये सीट खाली हो गई है. ऐसे में यह सीट सपा के लिए काफी मायने रखती हैं. इस उपचुनाव को भाजपा भी मुख्य चुनौती की तरह स्वीकार कर रही है. मैनपुरी से पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पत्नी डिंपल यादव को चुनावी मैदान में उतार दिया है. अब उपचुनाव से पहले सपा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष किरणमय नंदा का एक बड़ा बयान सामने आया है. जहां उन्होंने नतीजे आने से पहले ही जीत कंफर्म कर दी है.

ये क्या बोले गए सपा उपाध्यक्ष

मैनपुरी उपचुनाव को लेकर सपा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने कहा, ”सपा मैनपुरी सीट जीत रही है. उनकी पार्टी ने मैनपुरी सीट पर दमदार और शानदार प्रत्याशी डिंपल यादव के तौर पर उतारा है. इस सीट को लेकर हमसे लड़ने की किसी की भी हैसियत नहीं है, मैनपुरी सीट हम ही जीतेंगे.” दरअसल बीते शनिवार को जम्मू और कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने अखिलेश यादव से उनके पिता मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद पहली शिष्टाचार भेंट की थी. इस दौरान राष्ट्रीय उपाध्यक्ष किरणमय नंदा भी मौजूद रहे. इसी बीच उनका ये बयान सामने आया.

जानिये समीकरण

मैनपुरी लोकसभा सीट में कुल 5 विधानसभा सीटे हैं. इनमें करहल और जसवंत नगर की सीट भी शामिल है. इन सीटों पर फिलहाल अखिलेश यादव और शिवपाल यादव बतौर विधायक काबिज हैं. मतदाताओं की बात करें तो इन दो सीटों पर लगभग 17 लाख मतदाता हैं, इनमें से यादव 4.25 लाख, शाक्य 3.15 लाख, ठाकुर 2.50, ब्राह्मण 1.25, दलित 1.50 लाख, लोधी 1 लाख, वैश्य 70000 और मुस्लिम 45000 हैं. मैनपुरी की बात करें तो यह मुलायम सिंह यादव का गढ़ रहा है. साल 2014 और 19 के चुनावों में वह इसी सीट से सांसद रहे. अब उन्हीं की इस विरासत को आगे बढ़ाने की उम्मीद से अखिलेश यादव ने पत्नी डिंपल यादव को चुनावी मैदान में उतारा है.

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