‘टू फिंगर टेस्ट’ से विर्जिनिटी का पता चलता है, रेप का नहीं….. सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

नई दिल्ली: ‘टू फिंगर टेस्ट’ अब नहीं….. सुप्रीम कोर्ट ने इस टेस्ट पर अब रोक तो लगा दी है, लेकिन हम और आप में से कई सारे लोगों को इसके बारे में ठीक से नहीं पता है. पहले तो आपको इससे जुड़ा जरूरी फैसला बता दें, सोमवार 31 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने ‘टू फिंगर […]

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‘टू फिंगर टेस्ट’ से विर्जिनिटी का पता चलता है, रेप का नहीं….. सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

Amisha Singh

  • November 1, 2022 10:03 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली: ‘टू फिंगर टेस्ट’ अब नहीं….. सुप्रीम कोर्ट ने इस टेस्ट पर अब रोक तो लगा दी है, लेकिन हम और आप में से कई सारे लोगों को इसके बारे में ठीक से नहीं पता है. पहले तो आपको इससे जुड़ा जरूरी फैसला बता दें, सोमवार 31 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने ‘टू फिंगर टेस्ट’ पर रोक लगाते हुए इसे महिलाओं की गरिमा और निजता यानी कि प्राइवेसी के खिलाफ करार दिया है. इतना ही नहीं, ‘टू फिंगर टेस्ट’ करने वालों के खिलाफ एक्शन लेने की भी बात कही है.

अब आपको मामला तो पता चल गया लेकिन…. क्या आपको पता है कि जिस ‘टू फिंगर टेस्ट’ के बारे में हम बात कर रहे हैं वो टेस्ट है क्या? इस टेस्ट को कैसे और क्यों किया जाता है? इसे करने से क्या पता चलता है? अगर नहीं, तो आज की इस खबर में आपके सभी सवाल दूर हो जाएंगे। इस खबर में हम इसी टॉपिक के बारे में खुलकर बात करेंगे और हमे उम्मीद है कि इस खबर को पढ़ने के बाद इस मुद्दे से जुड़े आपके सभी सवालों के जवाब आपको मिल जाएंगे।

 

⁍ आइये जानते हैं क्या है ‘टू फिंगर टेस्ट’ और इससे जुड़े विवाद…

• सवाल : ‘टू फिंगर टेस्ट’ क्या है?

‣ जवाब: जैसा कि इसके नाम से भी पता चल रहा है, ‘टू फिंगर टेस्ट’…..। इस टेस्ट में महिला के प्राइवेट पार्ट में दो उंगली डालकर ये चेक करने की कोशिश की जाती है कि वह युवती या महिला सेक्स में एक्टिव है या नहीं।

 

• सवाल : ‘टू फिंगर टेस्ट’ को कैसे किया जाता है?

‣ जवाब: इस टेस्ट में डॉक्टर महिला या युवती के प्राइवेट पार्ट में दो उंगली डालते हैं. इससे महिलाओं के प्राइवेट पार्ट के लचीलेपन का पता चलता है. जैसा कि हम सब जानते हैं कि महिलाओं के प्राइवेट पार्ट के अंदर एक नरम झिल्ली होती है. इस झिल्ली को हाइमन के नाम से भी जाना जाता है. अब अगर इस पतली झिल्ली के अंदर यदि डॉक्टर की दोनों उंगलियाँ चली जाती है तो इसे पॉजिटिव माना जाता है नहीं तो नेगेटिव माना जाता है.

ऐसा माना जाता है कि टू फिंगर टेस्ट अगर पॉजिटिव है तो महिला या युवती सेक्स में एक्टिव है और इसके उलट अगर पॉजिटिव नहीं आता है तो वह सेक्शुअली एक्टिव नहीं है. यानी कि वह महिला या युवती नियमित तौर से यौन संबंध बनाती है या नहीं।

 

• सवाल : ‘टू फिंगर टेस्ट’ क्यों किया जाता है?

‣ जवाब : टू फिंगर टेस्ट किसी युवती या महिला के साथ हुए रेप की पुष्टि करने के लिए किया जाता है. ये एक तरह का वर्जिनिटी टेस्‍ट होता है जिसमें अगर महिला या युवती के प्राइवेट पार्ट में आसानी से दोनों उंगलियां चली जाती हैं तो इसे इस बात से जोड़ कर देखा जाता है कि महिला सेक्स में एक्टिव है या नहीं। जिसके बाद इसी को रेप होने या न होने का आधार भी मान लिया जाता है.

जानकारी के लिए बता दें कि, टू फिंगर टेस्ट की मदद से एक सिर्फ महिला या युवती के सेक्स में एक्टिव होने का ही पता चलता है. इसके जरिये ये साबित नहीं होता कि किसी महिला के साथ जबरन संबंध बनाए गए हैं या नहीं।

• सवाल : इस टेस्ट का रेप केस से क्या लेना-देना है?

‣ जवाब: इसका एक ही जवाब है कि इसका हकीकत में रेप से कुछ लेना देना नहीं है. जी हां, रूढ़िवादी सोच के मुताबिक दोनों बातों में ताल्लुक हो सकते हैं लेकिन प्रगतिशील विचारधारा के मुताबिक किसी युवती या महिला के सेक्स में एक्टिव होने का हरगिज़ उसके बलात्कार होने या न होने से कोई मतलब नहीं है. और ये सिर्फ हम नहीं कह रहे बल्कि यही बात मेडिकल साइंस भी कहती है.

 

इस टेस्ट का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने टू फिंगर टेस्ट की मदद से रेप की पुष्टि को रोकने का आदेश दिया है. कई मामले ऐसे भी आए हैं जब टू फिंगर टेस्ट के रिपोर्ट को आधार बनाकर पीड़ित महिलाओं व युवतियों के चरित्र पर भी ऊँगली उठाई जाती है. टू फिंगर टेस्ट के नतीजे सिर्फ और सिर्फ निजी राय हैं. इसका रेप पीड़ित महिला या युवती की सेक्शुअल हिस्ट्री कोई लेना-देना नहीं है. यानी कि सेक्स के लिए दी गई रजामंदी को टू-फिंगर टेस्ट के जरिये साबित नहीं किया जा सकता।

 

• सवाल : अभी ही क्यों उठ रहा है ये मामला?

‣ जवाब: हाल ही में, झारखंड हाईकोर्ट ने शैलेंद्र कुमार राय के केस में ‘टू फिंगर टेस्ट को आधार मानते हुए फैसला सुनाया था. जिसके तहत मामले में रेप और हत्या के आरोपी को बरी कर दिया गया था। जिसके बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर सवाल उठाया है और पलटकर आरोपी को दोषी करार दिया है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल कॉलेजों के सिलेबस से ‘टू-फिंगर टेस्ट’ को हटाने के आदेश दिए हैं.

 

• सवाल : क्या ये किसी महिला की निजता का हनन नहीं है?

‣ जवाब: जी हां, सुप्रीम कोर्ट ने भी इसी बात को आधार मानते हुए ये फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर काफी सख्त टिप्‍पणी भी है. दरअसल, ये टेस्ट किसी भी महिला के मानसिक को चोट पहुँचाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इस टेस्ट को सुप्रीम कोर्ट ने रेप पीड़िता की निजता और उसके सम्‍मान के खिलाफ बताया है. इतना ही नहीं इसे सेक्सिस्ट भी बताया जा रहा है. ये टेस्ट किसी भी महिला के लिए मानसिक व शारीरिक तौर पर आपत्तिजनक हो सकता है.

 

• सवाल : सुप्रीम कोर्ट ने इस पर क्या कहा?

‣ जवाब: कोर्ट ने कहा है कि ये कहीं नहीं लिखा गया है कि सेक्स में एक्टिव महिला का रेप नहीं किया जा सकता है। टू फिंगर टेस्ट सेक्सिस्ट है, जो किसी भी महिला की गरिमा व सम्मान के खिलाफ हो सकता है. आगे से महिलाओं व युवतियों के साथ टू फिंगर टेस्ट नहीं होनी चाहिए। इसके साथ ही इस टेस्ट को करने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। इससे पहले भी साल 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने टू-फिंगर टेस्‍ट को असंवैधानिक करार दिया था.

 

⁍ उम्मीद है कि इस खबर के माध्यम से अब आपके इस मुद्दे से जुड़े सभी सवालों के जवाब मिल गए होंगे। अपनी राय व अन्य सवाल आप इस पोस्ट के नीचे लिख सकते हैं.

 

 

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