नई दिल्ली। हर साल छठ पूजा के पर्व कार्तिक शुक्ल षष्ठी को मनाया जाता है। इस बार छठ पूजा की शुरूआत 28 अक्टूबर से शुरू हो चुकी है। इस पर्व में सूर्य देव और छठी मां की पूजा और उनको अर्घ्य देने का विधान हैं। आप अक्सर छठ पूजा में महिलाओं को नाक से मांग […]
नई दिल्ली। हर साल छठ पूजा के पर्व कार्तिक शुक्ल षष्ठी को मनाया जाता है। इस बार छठ पूजा की शुरूआत 28 अक्टूबर से शुरू हो चुकी है। इस पर्व में सूर्य देव और छठी मां की पूजा और उनको अर्घ्य देने का विधान हैं। आप अक्सर छठ पूजा में महिलाओं को नाक से मांग तक सिंदूर लगाते हुए देखा होगा, आइए जानते हैं इसके पीछे की क्या खास वजह है।
बता दें कि छठ पूजा के व्रत को महिलाओं द्वारा रखने वाले सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। इस बार छठ पूजा की शुरूआत 28 अक्टूबर से हो गई है। 4 दिन तक चलने वाले इस पर्व में महिलाएं अपनी संतान और सुहाग की मंगल कामना के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। मुख्य रूप से पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में इस पर्व को बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। 4 दिवसीय छठ पूजा की शुरूआत नहाय खाय से होती है जबकि इसका अंत सूर्य को अर्घ्य देने और पारण के बाद होता है। छठ पूजा में व्रत रखने वाली महिलाओं में नाक से मांग तक सिंदूर लगाने का विधान है, जिसका एक अलग महत्व होता है।
गौरतलब है कि हिंदु धर्म ग्रंथ के मुताबिक सिंदूर को सुहाग की निशानी माना जाता है। वहीं छठ के पर्व में महिलाएं नाक से मांग तक सिंदूर की लंबी रेखा इस लिए बनाती है ताकि उनके पति की उम्र लंबी हो। ऐसा माना जाता है कि सिंदूर को जितना लंबा रखा जाता है पति की उम्र उतनी ही लंबी होती है। सिंदूर को पति के लिए शुभ माना जाता है और लंबा सिंदूर लगाना परिवार की सुख सपन्नता का प्रतीक होता है। छठ पूजा के दिन महिलाओं द्वारा लंबा सिंदूर लगाने से परिवार में खुशहाली आती है। छठ पूजा के दौरान व्रती महिलाएं अपने बच्चों और पति के लिए सुख, शांति और लंबी आयु की कामना करती हैं और अर्घ्य देकर अपने व्रत को पूरा करती हैं।
ऐसा भी कहा जाता है नांरगी रंग का सिंदूर लगाने से उनके पति के व्यापार में बरकत आता है, हर राह में सफलता मिलती है और वैवाहिक जीवन भी खुशहाल रहता है। वैसे हिंदु धर्म ग्रंथों के मुताबिक नांरगी रंग को हनुमान जी का शुभ रंग माना जाता है।