नई दिल्ली. एक ओर ऋषि सुनक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बन गए हैं तो वहीं, दूसरी ओर भारत में इसे लेकर सियासी दंगल छिड़ा हुआ है. इसी कड़ी में जम्मू-कश्मीर की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि जहां ब्रिटेन ने अल्पसंख्यक मूल के एक शख्स को अपने प्रधानमंत्री के रूप में स्वीकार किया है […]
नई दिल्ली. एक ओर ऋषि सुनक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बन गए हैं तो वहीं, दूसरी ओर भारत में इसे लेकर सियासी दंगल छिड़ा हुआ है. इसी कड़ी में जम्मू-कश्मीर की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि जहां ब्रिटेन ने अल्पसंख्यक मूल के एक शख्स को अपने प्रधानमंत्री के रूप में स्वीकार किया है वहीं भारत अभी भी CAA और NRC जैसे विभाजनकारी कानूनों में ही उलझा हुआ है, कांग्रस नेता शशि थरूर ने भी महबूबा मुफ़्ती के सुर में सुर मिलाया है और ऐसे ही विचार जाहिर किए हैं. हालांकि कुछ लोगों का कहना है कि भारत में भी अल्पसंख्यक सर्वोच्च पद पर पहुंचे हैं और पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह और पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम इस बात के उदाहरण हैं.
If this does happen, I think all of us will have to acknowledge that theBrits have done something very rare in the world,to place a member of a visible minority in the most powerful office. As we Indians celebrate the ascent of @RishiSunak, let's honestly ask: can it happen here? https://t.co/UrDg1Nngfv
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) October 24, 2022
हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने वाले शशि थरूर ने ऋषि सुनक के प्रधानमंत्री बनने पर ख़ुशी जाहिर करते हुए कहा है कि क्या भारत में ऐसा हो सकता है? उन्होंने ट्वीट कर लिखा है कि अगर सुनक पीएम बनते हैं ‘तो मुझे लगता है कि हम सभी को ये स्वीकारना होगा कि ब्रिटिशर्स ने दुनिया में कुछ बहुत ही दुर्लभ काम किया है, और ये काम है अल्पसंख्यक समुदाय के एक सदस्य को सबसे शक्तिशाली ऑफिस की जिम्मेदारी सौंपना. अब जब हम भारतीय मूल के ऋषि सुनक की कामयाबी की खुशी मना रहे हैं तब हमें खुद से ईमानदारी से पूछना चाहिए कि क्या हमारे यहां ऐसा हो सकता है.
Proud moment that UK will have its first Indian origin PM. While all of India rightly celebrates, it would serve us well to remember that while UK has accepted an ethnic minority member as its PM, we are still shackled by divisive & discriminatory laws like NRC & CAA.
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) October 24, 2022
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने ऋषि सुनक के बहाने ही केंद्र की मोदी सरकार को भी घेरा है और ऐसे में उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि यह हमारे लिए गर्व का क्षण है कि यूके को भारतीय मूल का पहला प्रधानमंत्री मिलने वाला है, अब जबकि पूरा भारत इसकी खुशी मना रहा है तो हमें भी ये याद रखना चाहिए कि यूके ने एक जातीय अल्पसंख्यक सदस्य को अपने प्रधानमंत्री के रूप में स्वीकार कर लिया है, लेकिन हमारे यहाँ तो लोग NRC और CAA जैसे विभाजनकारी और भेदभावपूर्ण कानूनों से बंधे हैं.
First Kamala Harris, now Rishi Sunak
The people of the U.S. and the U.K have embraced the non-majority citizens of their countries and elected them to high office in government
I think there is a lesson to learned by India and the parties that practise majoritarianism
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) October 24, 2022
पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने भी इस मामले में अपनी प्रतिक्रिया दी है, इस मामले में उन्होंने ट्वीट कर लिखा, “पहले कमला हैरिस, अब ऋषि सुनक, यू.एस. और यू.के. के लोगों ने अपने देशों के गैर-बहुसंख्यक नागरिकों को गले लगाया है और उन्हें सरकार में उच्च पद के लिए चुना है, ये भारत जैसे देश के लिए एक अच्छा सबक है.”
इसपर पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने महबूबा मुफ्ती पर पलटवार किया और सवाल पूछा कि क्या वो जम्मू कश्मीर में एक हिंदू मुख्यमंत्री स्वीकार कर लेंगी, इसी कड़ी में उन्होंने कहा, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के रूप में ऋषि सुनक के चुनाव बाद कुछ नेता बहुसंख्यवाद के खिलाफ कुछ ज्यादा ही सक्रिय हो गए हैं. उन्होंने एपीजे अब्दुल कलाम और डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व की याद दिलाई और ये भी कहा कि इसी तर्ज पर अब एक आदिवासी महिला भी भारत में राष्ट्रपति है.
भाजपा नेता ने कहा कि भारतीय मूल के नेता सुनक को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बनने पर सभी को उनको बधाई देनी चाहिए लेकिन यहाँ तो लोग इसे कोई राजनीतिक मुद्दा बना रहे हैं.
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