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जीएन साईबाबा मामले में HC के फैसले पर SC ने लगाई रोक, नहीं होगी रिहाई

नई दिल्ली : दिल्‍ली विश्‍वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा समेत अन्य छह आरोपियों को रिहाई नहीं दी जाएगी. बॉम्‍बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच के आदेश पर रोक लगाते हुए शनिवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है. बता दें कि शुक्रवार को बॉम्‍बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने जीएन साईबाबा को माआवोदियों से […]

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  • October 15, 2022 2:09 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली : दिल्‍ली विश्‍वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा समेत अन्य छह आरोपियों को रिहाई नहीं दी जाएगी. बॉम्‍बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच के आदेश पर रोक लगाते हुए शनिवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है. बता दें कि शुक्रवार को बॉम्‍बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने जीएन साईबाबा को माआवोदियों से कथित संबंधों के आरोपों से बरी करते हुए रिहाई देने का फैसला लिया था. हाईकोर्ट के इस फैसले को लेकर महाराष्‍ट्र सरकार ने तुरंत सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. अब सुप्रीम कोर्ट ने भी महज 24 घंटों के अंदर-अंदर उनकी रिहाई पर ग्रहण लगा दिया है.

क्या बोली सर्वोच्च अदालत

इतना ही नहीं मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जीएन साईबाबा की हाउस अरेस्‍ट की गुहार को भी ठुकरा दिया है. सर्वोच्च न्यायलय ने कहा कि उन्हें गंभीर अपराध के लिए दोषी ठहराया गया है. जिसके बाद इसे स्वीकार नहीं किया जाएगा. महाराष्‍ट्र सरकार की अपील को मंजूर करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आरोपियों को बरी किए जाने के खिलाफ नोटिस भी जारी किया है. इस मामले में अब अगली सुनवाई 8 दिसंबर को होगी. बता दें, जस्टिस शाह ने मामले में फैसला सुनाते हुए कहा, इस अदालत की प्रथम दृष्टया राय है कि हाईकोर्ट के फैसले के संबंध में विस्तृत जांच की आवश्यकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि हाईकोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ कथित गंभीर अपराध को देखते हुए भी मामले की मेरिट पर विचार नहीं किया है.

 

क्या है मामला?

9 मई साल 2014 को साईबाबा को गिरफ्तार किया गया था. जिसके बाद उन्हें अदालत में पेश किया गया था. जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजा गया था और मार्च 2017 में महाराष्ट्र के गढ़चिरौली की सत्र अदालत ने साईबाबा समेत पांच अन्य लोगों को यूएपीए और भारतीय दंड संहिता के तहत दोषी ठहराया गया था. साईबाबा और चार अन्य को आजीवन कारावास की सजा दी गई थी. साथ ही एक को दस साल की कैद की सजा सुनाई गई.

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