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देश के लिए बलिदान हुआ श्वान जूम, मेरठ के आरवीसी सेंटर में हुई थी कठोर ट्रेनिंग

नई दिल्ली. बीते दिन श्रीनगर के अनंतनाग जिले में आतंकियों के एनकाउंटर के दौरान सेना ने तलाशी अभियान चलाया था, इसी दौरान जख्मी फौजी श्वान ज़ूम ने दम तोड़ दिया. बीते दिन दोपहर को करीब 12 बजे सेना के असॉल्ट डॉग ‘जूम’ की मौत गई, सुरक्षा बलों ने सेना के असॉल्ट डॉग जूम की मदद […]

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देश के लिए बलिदान हुआ श्वान जूम, मेरठ के आरवीसी सेंटर में हुई थी कठोर ट्रेनिंग
  • October 14, 2022 9:27 am Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली. बीते दिन श्रीनगर के अनंतनाग जिले में आतंकियों के एनकाउंटर के दौरान सेना ने तलाशी अभियान चलाया था, इसी दौरान जख्मी फौजी श्वान ज़ूम ने दम तोड़ दिया.

बीते दिन दोपहर को करीब 12 बजे सेना के असॉल्ट डॉग ‘जूम’ की मौत गई, सुरक्षा बलों ने सेना के असॉल्ट डॉग जूम की मदद से 10 अक्टूबर की सुबह जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में एनकाउंटर के दौरान दो आतंकियों का सफाया किया था. इस मुठभेड़ को दौरान जूम को गोलियां भी लगी थी, उसके बाद से ही श्रीनगर में सेना के 54 एएफवीएच अस्पताल में वह भर्ती था और उसका इलाज चल रहा था. इस संबंध में सेना की ओर से कहा गया कि जूम की हालात में सुधार हो रहा था, लेकिन बीते दिन तकरीबन 12 बजे वह अचानक हांफने लगा और फिर उसकी मौत हो गई.

जूम की अदम्य बहादुरी

ढाई साल का श्वान ज़ूम बीते 10 महीने से सेना की 15 कोर की असॉल्ट यूनिट का हिस्सास था, जम्मू कश्मीर के अनंतनाग के कोकरनाग इलाके में सुरक्षाबलों की एक टीम ने आतंकियों का सफ़ाया करने के लिए ऑपरेशन तांगे पवास चलाया था. असॉल्ट डॉग जूम भी इस टीम का हिस्सा था, बीते दिन सुरक्षाबलों के साथ हुई इस मुठभेड़ में लश्कर-ए-तैयबा के दो आतंकियों का सफाया हो गया. सेना ने बताया कि ऑपरेशन के दौरान जूम को दो गोलियां लगी थी, लेकिन गोलियां लगने के बाद ही ज़ूम ने अपना काम जारी रखा, वहीं सुरक्षाबलों ने दो आतंकवादियों को मार गिराया. बता दें इस मुठभेड़ में जूम के अलावा दो जवान भी घायल हुए थे.

मेरठ में प्रशिक्षण

बेल्जियम शेफर्ड प्रजाति के मेलोनिस ब्रीड के जूम का जन्म सितंबर-2020 में हुआ था और करीब आठ महीने पहले कश्मीर में आर्मी डाग यूनिट में उसकी तैनाती हुई थी. महज दो साल के जूम का प्रशिक्षण मेरठ छावनी स्थित आरवीसी सेंटर एंड कालेज में 36 सप्ताह हुआ था, यहां प्रशिक्षण के बाद जम्मू-कश्मीर में ही जूम की फील्ड ट्रेनिंग पूरी हुई और उसके बाद से ही वो बहुत से सैन्य अभियानों का हिस्सा रहा. सेना की ओर से फौजी श्वानों का अंतिम संस्कार भी सैन्य सम्मान के साथ किया जाता है, ऐसे में, संभव है कि जूम की बहादुरी के लिए सेना की ओर से मिलने वाले पुरस्कार व सम्मान की घोषणा भी जल्द की जाएगी.

 

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