मुंबई. महाराष्ट्र में इस समय सियासी खलबली मची हुई है, चुनाव चिह्न और नाम को लेकर उद्धव ठाकरे गुट और शिंदे गुट में खींचतान चल रही थी, ये मामला अब हाईकोर्ट और चुनाव आयोग तक पहुँच गया. इसी कड़ी में, उद्धव ठाकरे गुट को चुनाव आयोग की ओर से ‘मशाल’ चुनाव चिह्न दिया गया है. […]
मुंबई. महाराष्ट्र में इस समय सियासी खलबली मची हुई है, चुनाव चिह्न और नाम को लेकर उद्धव ठाकरे गुट और शिंदे गुट में खींचतान चल रही थी, ये मामला अब हाईकोर्ट और चुनाव आयोग तक पहुँच गया. इसी कड़ी में, उद्धव ठाकरे गुट को चुनाव आयोग की ओर से ‘मशाल’ चुनाव चिह्न दिया गया है. बता दें कि तीन नवंबर को अंधेरी ईस्ट विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में उद्धव गुट अब ‘मशाल’ चुनाव चिह्न के साथ मैदान में उतरेगी. इसके साथ ही उद्धव गुट को शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे नाम दिया गया है, जबकि शिंदे गुट को बालसाहेबची शिवसेना नाम दिया गया है.
चुनाव आयोग को उद्धव गुट ने जो तीन चिह्न सौंपे थे उनमें से एक चुनाव चिह्न ‘मशाल’ भी था, ऐसे में उन्हें मशाल चुनाव चिह्न दे दिया गया है, लेकिन शिंदे गुट को कोई चुनाव चिह्न आवंटित नहीं हुआ है क्योंकि निर्वाचन आयोग ने धार्मिक अर्थों का हवाला देते हुए शिवसेना के प्रतिद्वंदी गुटों के लिए त्रिशूल और गदा को चुनाव चिन्ह के रूप में देने के सुझाव को खारिज कर दिया है. इसके साथ ही आयोग की ओर से शिंदे गुट को नए चुनाव चिह्न का चयन करने के लिए कहा गया है. उद्धव गुट को चुनाव चिह्न इसलिए आवंटित कर दिया गया क्योंकि उन्होंने जो चिह्न सुझाए थे उनमें से एक चिह्न ‘मशाल’ भी था और चुनाव आयोग के मुताबिक ‘कोई धार्मिक अर्थ’ नहीं है, इसलिए उद्धव गुट को आसानी से मशाल चुनाव चिह्न मिल गया है.
बीते दिनों शिवसेना के उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे नीत खेमों ने निर्वाचन आयोग को अपनी पसंद के तीन-तीन वैकल्पिक चिह्न और नाम औपचारिक रूप से सौंपे थे, इसके बाद चुनाव आयोग ने शनिवार रात पार्टी का ‘धनुष-बाण’ चिह्न पर रोक लगा दी थी और दोनों खेमों को वैकल्पिक चिह्न और पार्टी नाम का सुझाव देने के लिए भी कहा था.
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