नई दिल्ली. बीते दिन उत्तराखंड के उत्तरकाशी में बड़ा हादसा हो गया. 4 अक्टूबर का दिन उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में करीब 40 लोगों (4 अक्टूबर तक) के लिए किसी काल से कम नहीं था, जिस चोटी को फतह करने का जज़्बा लिए 40 लोगों का दल निकला था, उन्हें क्या पता था कि वो […]
नई दिल्ली. बीते दिन उत्तराखंड के उत्तरकाशी में बड़ा हादसा हो गया. 4 अक्टूबर का दिन उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में करीब 40 लोगों (4 अक्टूबर तक) के लिए किसी काल से कम नहीं था, जिस चोटी को फतह करने का जज़्बा लिए 40 लोगों का दल निकला था, उन्हें क्या पता था कि वो वापस नहीं लौट पाएंगे. बीते दिन इस चोटी पर हिमस्खलन (एवलांच) हुआ, जिसमें कई लोग दब गए. इसमें से कुछ लोगों की मौत हो गई और कुछ को रेस्क्यू कर लिया गया और कुछ अब भी लापता हैं. इस हादसे ने उत्तरकाशी की ही रहने वाली बहादुर पर्वतारोही और ट्रेनर सविता कंसवाल की भी मौत हो गई है, सविता ही इस दल की ट्रेनर थीं.
सविता ने कुछ ही महीने पहले विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट फतह किया था, अभी कुछ महीनों पहले ही सविता ने प्रदेश, जिले का वर्चस्व पूरे भारत में फैलाया और अपनी ऊंचाइयों को उड़ान दी थी लेकिन अब वो हमारे बीच नहीं है. एवरेस्ट आरोहण के 15 दिन के भीतर सविता ने माउंट मकालू का भी सफल आरोहण कर रिकॉर्ड बनाया था, और तो और माउंट ल्होत्से चोटी पर तिरंगा लहराने वाली सविता देश की दूसरी महिला पर्वतारोही बनी थीं लेकिन ईश्वर को कुछ और ही मंजूर था. बीते दिन आए एवलेंच में सविता की जान चली गई.
भटवाड़ी ब्लाक के लौंथरू गांव के किसान परिवार में जन्मी सविता कंसवाल सिर्फ 25 वर्ष की थी. सविता का बचपन आर्थिक तंगी में गुजरा था लेकिन उनके सपने हमेशा से बड़े थे. सविता चार बहनों में सबसे छोटी थी, उनके पिता राधेश्याम कंसवाल और मां कमलेश्वरी ने खेती बाड़ी करके ही किसी तरह अपना परिवार चलाया. सविता की पढ़ाई सरकारी स्कूल से हुई थी, उन्हें बचपन से ही एडवेंचर स्पोर्ट का बहुत शौक था. स्कूल समय में ही सविता ने परिवार के विरोध के बावजूद एनसीसी ट्रेनिंग लेनी शुरू कर दी थी, उनका परिवार नहीं चाहता था कि वो NCC ट्रेनिंग लें, लेकिन सविता अपने परिवार के खिलाफ गई और NCC ट्रेनिंग ली.
इनके अलावा, माउंट एवरेस्ट (8848 मीटर) नेपाल, माउंट त्रिशूल (7120 मीटर), माउंट चंद्रभागा, कोलाहाई (5400 मीटर) जम्मू-कश्मीर, माउंट हनुमान टिब्बा, माउंट लबूचे (6119 मीटर), माउंट तुलियान (4800 मीटर), ल्होत्से (8516 मीटर) नेपाल, इसके अलावा सविता द्रोपती का डांडा पर भी सफलतापूर्वक पहुँच गई थी.
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