नई दिल्ली. अमेरिका की जो बाइडेन सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है, दरअसल, बाइडन सरकार ने ईरान के खिलाफ कड़ी सख्ती दिखाते हुए उसके साथ कारोबार कर रहे भारत समेत अन्य देशों को भी कड़ा संदेश दे दिया है. अमेरिका ने ईरान के हजारों करोड़ों के पेट्रोलियम और पेट्रोल केमिकल को साउथ और ईस्ट […]
नई दिल्ली. अमेरिका की जो बाइडेन सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है, दरअसल, बाइडन सरकार ने ईरान के खिलाफ कड़ी सख्ती दिखाते हुए उसके साथ कारोबार कर रहे भारत समेत अन्य देशों को भी कड़ा संदेश दे दिया है. अमेरिका ने ईरान के हजारों करोड़ों के पेट्रोलियम और पेट्रोल केमिकल को साउथ और ईस्ट एशिया में बेचने वाली कंपनियों के अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया है. कहा जा रहा है कि इन कंपनियों में एक भारतीय कंपनी भी शामिल है. भारत में ईरान के तेल की बिक्री को लेकर अमेरिका ने पहली बार ऐसा कदम उठाया है, इससे पहले अमेरिका यूक्रेन से युद्ध के बीच भारत के रूस से तेल खरीदने को लेकर भी कई बार आपत्ति जाहिर कर चुका है.
अमेरिकी के खजांची विभाग की ओर से बताया गया कि इस एक्शन के जरिए उन ईरानी दलालों व यूएई, हॉन्ग कॉन्ग और भारत की कुछ कंपनियों को निशाने पर लिया गया है जो ईरान के तेल और पेट्रो केमिकल उत्पादों की सप्लाई और वित्तीय लेनदेन के तरीकों का गलत इस्तेमाल कर रहे थे.
अमेरिका का कहना है कि भारत की कंपनी समेत अन्य जिन भी कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया गया है, इन्होंने न सिर्फ ईरानी शिपमेंट के स्त्रोत को छुपाने की कोशिश की बल्कि दो प्रतिबंधित ईरानी दलाल कंपनी Triliance Petrochemical और Persian Gulf Petrochemical Industry Commercial (PGPICC) को एशिया में खरीदारों के लिए फिर से सक्रिय करने में महत्वपूर्ण भागीदारी है.
इस संबंध में ट्रेजरी फॉर टेरेरिज्म एंड फाइनेंशियल इंटेलिजेंस के अंडर सेक्रेटरी ब्रायन ई. नेल्सन ने कहा कि ईरान के अवैध तेल और पेट्रो केमिकल बिक्री को प्रतिबंधित करने के लिए अमेरिका प्रतिबद्ध है और अमेरिका यह प्रतिबंध तब तक जारी रखेगा, जब तक ईरान परमाणु करार (जॉइंट कॉम्प्रिहेंसिव प्लान ऑफ ऐक्शन) को लागू करने के लिए उसके साथ मिलकर इस दिशा में काम नहीं करता.
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