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क्यों ना चाहते हुए पायलट को CM बनाने के राजी हो सकते हैं गहलोत? ये है वजह

नई दिल्ली. कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव बहुत ही नज़दीक है, चुनाव को लेकर तमाम तरह की अटकलबाजियां की जा रही थी, खबरें थी कि राहुल गाँधी अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ेंगे, लेकिन बीते दिन राहुल गाँधी ने ये साफ़ कर दिया कि वो अध्यक्ष नहीं बनेंगे. वहीं, अब अध्यक्ष की रेस में अशोक गहलोत, […]

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क्यों ना चाहते हुए पायलट को CM बनाने के राजी  हो सकते हैं गहलोत? ये है वजह
  • September 23, 2022 6:00 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली. कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव बहुत ही नज़दीक है, चुनाव को लेकर तमाम तरह की अटकलबाजियां की जा रही थी, खबरें थी कि राहुल गाँधी अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ेंगे, लेकिन बीते दिन राहुल गाँधी ने ये साफ़ कर दिया कि वो अध्यक्ष नहीं बनेंगे. वहीं, अब अध्यक्ष की रेस में अशोक गहलोत, दिग्विजय सिंह, मनीष तिवारी और शशि थरूर के नाम की चर्चा है. ये भी कहा जा रहा है कि अध्यक्ष पद के लिए अशोक गहलोत सीएम की कुर्सी छोड़ देंगे. शशि थरूर के मुकाबले अशोक गहलोत के जीतने की संभावनाएं ज्यादा है. ऐसे में, सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि अशोक गहलोत के बाद राजस्थान का मुख्यमंत्री कौन बनेगा?

सीएम की रेस में सबसे आगे सचिन पायलट का नाम है. कहा रहा है कि हाईकमान भी चाहता है कि सचिन पायलट मुख्यमंत्री बने, लेकिन अशोक गहलोत नहीं चाहते हैं पायलट उड़ान भरे. ऐसे में उन्होंने सीएम के लिए सीपी जोशी के नाम की सिफारिश की है. वहीं, ये भी कहा रहा है कि अध्यक्ष पद के लिए और राहुल के कहने पर शायद अशोक गहलोत पायलट को मुख्यमंत्री बनने दे. गहलोत पायलट के मुख्यमंत्री बनने पर राजी हो सकते हैं, इसके लिए कुछ ख़ास वजह हैं :

राहुल-प्रियंका से नजदीकी

राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो लंबे समय से ‘सब्र’ करके बैठे पायलट गुट को कमजोर नहीं समझा जा सकता, हाँ यह सच है कि पार्टी अध्यक्ष बनने के बाद गहलोत का कद और बड़ा हो जाएगा और पार्टी में उनकी शक्तियां भी बढ़ जाएगी लेकिन इस बात से भी मुंह नहीं मोड़ा जा सकता है कि गहलोत के अध्यक्ष बनने के बाद भी पार्टी में गाँधी परिवार का दबदबा कायम ही रहेगा. वहीं, अशोक गहलोत जहाँ सोनिया गाँधी के करीबी हैं तो पायलट और राहुल गाँधी की नज़दीकियां भी जग जाहिर हैं, ऐसे में गहलोत को भी पायलट के लिए हामी भरनी पड़ सकती है.

दो साल पुराना वादा

साल 2020 में जब सचिन पायलट ने अशोक गहलोत के साथ बगावत की थी, तो वो अपने समर्थकों के साथ दिल्ली पहुंचे थे और किसी भी वक्त भाजपा के खेमे में जा सकते थे. लेकिन, जब राहुल और प्रियंका ने पारी संभाली थी. कहा जाता है कि अब पायलट को उनके सब्र का फल मिलने वाला है, उस समय राहुल और प्रियंका ने पायलट से जो वादा किया था वो उसे निभाने में पीछे नहीं हटेंगे. राहुल गाँधी के हालिया बयान को देखें तो उन्होंने बीते दिनों पायलट के सब्र की तारीफ़ की थी. ऐसे में अब राहुल और प्रियंका अपने वादें को ज़रूर निभाएंगे और गहलोत के लिए पायलट की उड़ान रोकना मुश्किल हो सकता है.

 

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