बेंगलुरु. कहने को तो आज हम 21वीं सदी में रह रहे हैं, लेकिन आज भी कई लोग ऐसे हैं जो पुराने खयालातों के हैं. कर्नाटक से एक ऐसा ही मामला सामने आया, जहाँ दलित बच्चे के मूर्ति छू लेने पर परिवार पर 60 हज़ार का जुर्माना लगा दिया गया है. यह घटना कर्नाटक के कोलार […]
बेंगलुरु. कहने को तो आज हम 21वीं सदी में रह रहे हैं, लेकिन आज भी कई लोग ऐसे हैं जो पुराने खयालातों के हैं. कर्नाटक से एक ऐसा ही मामला सामने आया, जहाँ दलित बच्चे के मूर्ति छू लेने पर परिवार पर 60 हज़ार का जुर्माना लगा दिया गया है. यह घटना कर्नाटक के कोलार जिले के उलरहल्ली गांव की है.
दरअसल वोक्कालिगा समुदाय के वर्चस्व वाले उलरहल्ली गांव में दलित समुदाय के सिर्फ 8-10 परिवार रहते हैं और बीते 8 सितंबर को गांव ने भूतयम्मा मेले का आयोजन किया था, दलितों को गांव के देवता के मंदिर में जाने की अनुमति नहीं दी थी. लेकिन इसी गांव के रहने वाले शोबा और रमेश के 15 साल का बेटा भूल से मंदिर में चला गया और एक खम्भे को छू दिया. अब इस 10वीं कक्षा में पढ़ने वाले बच्चे को बच्चे को क्या पता था कि मंदिर में जाकर खंभे को छूना उसके परिवार को इतना परिवार को इतना भारी पड़ जाएगा.
दलित बच्चे को खंभे को छुते हुए ग्रामीण वेंकटेशप्पा ने देख लिया और बुजुर्गों को बता दिया. उसने आरोप लगाया कि लड़के ने गांव के नियमों की अनदेखी की और जानबूझकर मंदिर में गए. उसके बाद उसके परिवार को अगले दिन गांव के बुजुर्गों और पंचायत के सामने पेश होने के लिए बुलाया गया था. दलित बच्चे द्वारा देवता को छूने पर ग्रामीण नाराज़ थे. ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि दलित बच्चे के पोल को छूने से अब अशुद्ध हो गया है और उसे फिर से रंगना पड़ रहा है. गांव के मुखिया नारायणस्वामी ने बच्चे के परिवार पर 1 अक्टूबर तक रंगाई के लिए 60,000 रुपये का जुर्माना लगा दिया. उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अगर वे 1 अक्टूबर तक जुर्माना नहीं भरते हैं तो पुरे परिवार को बहिष्कृत कर दिया जाएगा.