नई दिल्ली. अमेरिका राष्ट्रपति जो बाइडेन ने संयुक्त राष्ट्र की सिक्योरिटी काउंसिल में भारत की पैरवी की है, जिसने भारत की उम्मीदों को और बढ़ा दिया है. दरअसल UNSC में राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भारत को स्थाई सदस्य बनाए जाने पर अपना समर्थन दिया है. और सिर्फ भारत ही नहीं बाइडेन ने जापान और जर्मनी […]
नई दिल्ली. अमेरिका राष्ट्रपति जो बाइडेन ने संयुक्त राष्ट्र की सिक्योरिटी काउंसिल में भारत की पैरवी की है, जिसने भारत की उम्मीदों को और बढ़ा दिया है. दरअसल UNSC में राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भारत को स्थाई सदस्य बनाए जाने पर अपना समर्थन दिया है. और सिर्फ भारत ही नहीं बाइडेन ने जापान और जर्मनी को भी यूएनएससी का स्थाई सदस्य बनाने पर समर्थन दिया है. वैसे ये पहली बार नहीं है जब इस मुद्दे पर अमेरिका ने भारत का समर्थन किया हो, इससे पहले भी इस मसले पर अमेरिका भारत का समर्थन कर चुका है.
बाइडन सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, यूएनएससी में भारत, जापान और जर्मनी को स्थाई सदस्य बनाने के संबंध में अमेरिका पहले भी साथ था, और आगे भी साथ रहेगा. बुधवार को अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने यूएन जनरल असेंबली में संबोधन के दौरान यूएनएससी में सुधार को लेकर अपने वादे को एक बार फिर दोहराया, इस संबंध में जो बाइडन ने कहा कि समय आ गया है कि अब संस्थान को और ज्यादा समावेशी बनाया जाए, जिससे यह वर्तमान में विश्व की जरूरतों को और अच्छे से पूरा कर सके.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने यूएनएससी में वीटो पावर भी अपने विचार रखे. उन्होंने कहा कि यूएन सुरक्षा परिषद के सदस्य जिनमें अमेरिका भी शामिल है, उन्हें यूएन चार्टर की रक्षा करनी चाहिए और वीटो पावर का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए. अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि किसी विशेष या विषम परिस्थिति में ही वीटो पावर का इस्तेमाल करना चाहिए, जिससे परिषद की विश्वसनीयता और प्रभाव बना रहे.
इस संबंध में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने आगे कहा कि इसी वजह से अमेरिका सिक्योरिटी काउंसिल में स्थायी और अस्थायी, दोनों तरह के मेंबरों को बढ़ाने पर जोर देता आया है, इनमें कई ऐसे देश भी शामिल हैं, जिनकी स्थायी सदस्यता की अमेरिका लंबे समय से मांग कर रहा है,इन देशों की लिस्ट में भारत भी शामिल है.