नई दिल्ली : इस समय अफगानिस्तान खाद्य संकट से जूंझ रहा है. तालिबान शासित देश में हालात गंभीर बने हुए हैं. बीते 27 सालों से पड़े सूखे के कारण देश की आधे से अधिक आबादी भूख का सामना कर रही है. कई लोग घास तक खाने पर मजबूर हो गए हैं. आइए बताते हैं अफगानिस्तान […]
नई दिल्ली : इस समय अफगानिस्तान खाद्य संकट से जूंझ रहा है. तालिबान शासित देश में हालात गंभीर बने हुए हैं. बीते 27 सालों से पड़े सूखे के कारण देश की आधे से अधिक आबादी भूख का सामना कर रही है. कई लोग घास तक खाने पर मजबूर हो गए हैं. आइए बताते हैं अफगानिस्तान के दर्द भरे हालात.
त्रासदी की ये सच्ची कहानी सुनकर आपकी भी रूह कांप जाएगी. जहां काफी लंबे समय से खाना ना मिलने की वजह से अब अफगानिस्तान की जनता को घास तक खानी पड़ रही है. दिन रात लोग खाने की तलाश में जुटे हुए हैं. भूख से देश वासियों का शरीर का बुरा हाल हो रहा है साथ ही उनकी आंते भी अब खराब होने लगी हैं. त्रासदीनुमा स्थिति में अफगानिस्तान के एक परिवार की सच्ची कहानी आज हम आपको बताने जा रहे हैं. 27 साल से सूखे की स्थिति ने पूरे देश में भुखमरी की स्थिति पैदा कर दी है. देश की अर्थव्यवस्था बेहद खराब है जिस कारण वहाँ खाने की कीमत बढ़ गई हैं.
देश का बड़ा वर्ग गरीब है जो इस खाने तक नहीं पहुँच सकता है. देश में रोजगार ने भी आम इंसान की कमर तोड़ दी है. एक न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान का एक इलाका एक समय में अपनी बादाम की उपज के लिए जाना जाता था लेकिन यहां के लोगों का जीवन अब बर्बाद हो चुका है. इस रिपोर्ट में इस इलाके में रहने वाले एक परिवार की स्थिति का भी ज़िक्र है. परिवार का एक सदस्य बताता है कि एक समय ऐसा आया की परिवार के सभी सदस्यों को घास तक खानी पड़ गई. इस परिवार में कुल 6 सदस्य थे जिसमें से दो सदस्य इस समय अस्पताल में हैं.
दोनों सदस्यों की आंतें क्षतिग्रस्त हैं. परिवार इस समय प्रार्थनाओं के सहारे ही आगे बढ़ रहा है. दरअसल यह परिवार खेती किया करता था लेकिन सूखा आने से परिवार की कई एकड़ खेती बर्बाद हो गई. हालांकि, यह परिवार यहां के मुकाबले बाकी परिवारों से अच्छी स्थिति में है जो दिन में दो बार रोटी खा लेता है. न्यूज़ एजेंसी की इस रिपोर्ट में एक नहीं बल्कि कई ऐसे परिवारों का ज़िक्र है जो इस समय भयावह स्थिति से गुजर रहे हैं.
बता दें, अफगानिस्तान में इस समय तालिबान का कब्ज़ा होने की वजह से कई देश उसकी मदद करने के लिए आगे नहीं बढ़ रहे हैं. इन देशों में से पश्चिमी देशों के नाम शामिल हैं. हालांकि यूएन में इसकी गुहार लगाईं जा रही है कि अफगानिस्तान को मदद की जरूरत है लेकिन एक सच ये भी है कि इस समय अफगानिस्तान के लिए किसी एक देश की मदद तिनके के समान होगी. ना केवल आर्थिक रूप से बल्कि राजनीतिक और सामाजिक रूप से भी देश की हालत बेहद खस्ता हो चुकी है.
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