Project Cheetah: 74 साल बाद चीतों की घर वापसी, जानिए रफ्तार के बादशाह की पूरी कहानी

नई दिल्ली। भारत में 74 सालों बाद चीतों की घर वापसी हो रही है। साल 1952 में भारत को चीता विलुप्त देश घोषित कर दिया गया था, लेकिन एक बार फिर हमारा देश चीतों वाला देश बन गया है। भारत को चीतों का ये सौगात पीएम नरेंद्र मोदी के 72वें जन्मदिन के अवसर पर मिला […]

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Project Cheetah: 74 साल बाद चीतों की घर वापसी, जानिए रफ्तार के बादशाह की पूरी कहानी

SAURABH CHATURVEDI

  • September 17, 2022 9:29 am Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली। भारत में 74 सालों बाद चीतों की घर वापसी हो रही है। साल 1952 में भारत को चीता विलुप्त देश घोषित कर दिया गया था, लेकिन एक बार फिर हमारा देश चीतों वाला देश बन गया है। भारत को चीतों का ये सौगात पीएम नरेंद्र मोदी के 72वें जन्मदिन के अवसर पर मिला है। प्रधानमंत्री आज नामीबिया से आए इन चीतों को मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान (Kuno National Park) में छोड़ेंगे।

भारत में 8 चीतों की घर वापसी

भारत का चीता विलुप्त देश होना अब इतिहास बन गया है, क्योंकि आज देश की धरती पर नामीबिया से 8 चीतों का आगमन हो चुका है। पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) अपने जन्मदिन के मौके पर इन चीतों को मध्य प्रदेश (MP) के कुनो राष्ट्रीय उद्यान (Kuno National Park) में छोड़ेंगे। नामीबिया से आए इन 8 चीतों में से 5 मादा और 3 नर हैं।

चीता नाम के पीछे ये है कारण

चीता शब्द संस्कृत के चित्रकाय से लिया गया है, जिसको हिंदी में चीता कहा गया। चीता शब्द का अर्थ कई सारे रंगो के शरीर वाला होता है। चीता शब्द बिल्ली के कुल से आता है जिसका साइंटिफिक नाम एसीनोनिक्स जुबेटस है। ये जानवर अपने अद्भूत फुर्ती और तेज-तर्रार रफ्तार के लिए पहचाना जाता है।

दौड़ने वाला सबसे तेज प्राणी

बता दें कि चीता धरती पर सबसे तेज रफ्तार से दौड़ने वाला जीव है। ये अपने एक छोटी की छलांग से 120 कि.मी. प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ लेता है। सिर्फ 3 सेकेंड से भी कम समय में भी यह अपनी रफ्तार में 103 कि.मी. प्रति घंटे की इजाफा कर लेता है। साइंटसिस्टो द्वारा किए गए अध्ययन के मुताबिक ये पृथ्वी पर पाया जाने वाला सबसे तेज जानवर है।

बोइंग 747-400 से आया भारत

नामीबिया के इन 8 चीतों को बोइंग 747-400 (Boeing 747-400) विमान के माध्यम से भारत में लाया गया है। इनको मध्य प्रदेश के कुनो नेशनल माध्यम में रखा जाएगा। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के सचिव एसपी यादव के अनुसार चीतों को शुरूआत में क्वारंटाइन के दौरान 50×30 मीटर के घेरे में छोड़ा जाएगा।

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