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ज्ञानवापी मामले पर अदालत का फैसला देश में अस्थिरता पैदा करेगा: असदुद्दीन ओवैसी

ज्ञानवापी मामला: जयपुर। वाराणसी के ज्ञानवापी मामले पर आए जिला अदालत के फैसले पर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने आपत्ति जताते हुए कहा है कि ये फैसला पूजा स्थल अधिनियम 1991 के खिलाफ है और इससे देश में अस्थिरता पैदा हो सकती है। बहुत मसलों को खोलेगा AIMIM प्रमुख ने राजस्थान की राजधानी जयपुर में […]

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ज्ञानवापी मामले पर अदालत का फैसला देश में अस्थिरता पैदा करेगा: असदुद्दीन ओवैसी
  • September 14, 2022 3:15 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

ज्ञानवापी मामला:

जयपुर। वाराणसी के ज्ञानवापी मामले पर आए जिला अदालत के फैसले पर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने आपत्ति जताते हुए कहा है कि ये फैसला पूजा स्थल अधिनियम 1991 के खिलाफ है और इससे देश में अस्थिरता पैदा हो सकती है।

बहुत मसलों को खोलेगा

AIMIM प्रमुख ने राजस्थान की राजधानी जयपुर में मीडिया से बात करते हुए कहा कि मेरा मानना है कि ज्ञानवापी पर फैसला पूरी तरह गलत है। यह फैसला पूजा स्थल अधिनियम 1991 के खिलाफ है और ये भविष्य में ऐसे बहुत से मसलों को खोलेगा।

अदालत ने क्या कहा?

जानकारी के मुताबिक कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि उपरोक्त मुकदमा न्यायालय में चलने योग्य है। इसके साथ ही कोर्ट ने प्रतिवादी संख्या 4 अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमिटी के द्वारा दिए गए प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया।

40 लोगों को मिली एंट्री

बता दें कि जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश ने जब फैसला सुनाया उस समय कोर्ट में हिंदू पक्ष के वकील हरिशंकर जैन और विष्णु जैन मौजूद थे। इसके साथ ही 5 वादी महिलाओं में से 3, लक्ष्मी देवी, रेखा आर्य और मंजू व्यास अदालत पहुंची थी। राखी सिंह और सीता साहू कोर्ट रूम में नहीं आई थी। बताया जा रहा है कि कुल 40 लोगों को ही कोर्ट रूम में एंट्री मिली थी। कोर्ट रूम से 50 कदम दूर ही बाकी लोगों को रोक दिया गया था।

पूजा करने की मांग

गौरतलब है कि, दिल्ली की रहने वाली राखी सिंह एवं वाराणसी निवासी चार महिलाओं ने ज्ञानवापी मस्जिद की बाहरी दीवार पर लगे हिंदू देवी-देवताओं की प्रतिदिन पूजा-अर्चना के लिए एक अर्जी दी थी। इस याचिका को पिछले साल सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर की अदालत में दाखिल किया गया था। सिविल जज सीनियर डिवीजन के आदेश पर मई में ज्ञानवापी परिसर का वीडियोग्राफी सर्वे भी हुआ। इसके बाद आज जिला अदालत ने ये फैसला दिया है।

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