नई दिल्ली : आप जब आलू की खेती के बारे में सोचते होंगे तो आपके भी दिमाग में आता होगा कि आप इसे केवल जमीन के अंदर ही ऊगा सकते हैं. लेकिन बेहद कम लोग इस बात को जानते होंगे कि आलू की खेती हवा में भी होती है. इस तरह की खेती में नए […]
नई दिल्ली : आप जब आलू की खेती के बारे में सोचते होंगे तो आपके भी दिमाग में आता होगा कि आप इसे केवल जमीन के अंदर ही ऊगा सकते हैं. लेकिन बेहद कम लोग इस बात को जानते होंगे कि आलू की खेती हवा में भी होती है. इस तरह की खेती में नए तकनीक एरोपोनिक का इस्तेमाल किया जाता है. दरअसल, इस विधि में बिना मिट्टी और जमीन के ही हवा में सब्ज़ियां उगाई जा सकती हैं.
एरोपोनिक तकनीक हरियाणा के करनाल जिले में स्थित आलू प्रौद्योगिकी केंद्र द्वारा खोजी गई है. विशेषज्ञों की मानें तो इस तकनीक से खेती करने पर आलू की पैदावार जमीन पर उगने वाले आलू से करीब 10 गुना तक बढ़ जाती है. सरकार द्वारा भी इस तकनीक से खेती करने की मजूरी दे दी गई है. इस तकनीक में आलू की लटकती हुई जड़ों के द्वारा उन्हें पोषण दिया जाता है. इसमें मिटटी की कोई जरूरत नहीं होती है. विशेषज्ञों की मानें तो रोपोनिक तकनीक से खेती करना किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित है. इससे कम लागत और कम जगह में आलू की ज्यादा पैदावार होती है. ज्यादा पैदावार होने की स्थिति में आमदनी भी बढ़ेगी जिससे किसानों को फायदा मिलेगा.
हरियाणा स्थित आलू प्रौद्योगिकी केंद्र के मुताबिक आलू के बीज के उत्पादन की क्षमता 3 से 4 गुणा तक बढ़ सकती है. इस तकनीक से सिर्फ़ हरियाणा ही नहीं, बल्कि पूरे देश को लाभ पहुँच सकता है. इसके अलावा इस तकनीक का प्रयोग अन्य तरह की पत्तेदार सब्जियों को उगाने के लिए भी किया जा सकता है. जैसे पत्तेदार साग, स्ट्रॉबेरी, खीरे, टमाटर और जड़ी-बूटियां आदि. किसानों के बीच एरोपोनिक फार्मिंग को प्रोत्साहित करने के लिए अलग-अलग प्रयास भी किए जा रहे हैं. हरियाणा के करनाल में स्थित आलू प्रौद्योगिकी केंद्र का इंटरनेशनल पोटेटो सेंटर साथ एक एमओयू (MOU) साइन किया जा चुका है. तकनीक के बारे में बताने के लिए ट्रेनिंग प्रोगाम भी आयोजित किए जा रहे हैं.
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