Advertisement

पार्थ चटर्जी, अर्पिता मुखर्जी की मुश्किलें बढ़ी, और 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजे गए

कोलकाता, पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाले में पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी और मुख़र्जी की मुश्किलें थमने का नाम ही नहीं ले रही हैं. कोर्ट ने उन्हें और 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है. बता दें, पार्थ और अर्पिता की हिरासत आज खत्म हो रही थी, लेकिन अब उन्हें और 14 दिनों की […]

Advertisement
पार्थ चटर्जी, अर्पिता मुखर्जी की मुश्किलें बढ़ी, और 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजे गए
  • August 18, 2022 4:09 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

कोलकाता, पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाले में पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी और मुख़र्जी की मुश्किलें थमने का नाम ही नहीं ले रही हैं. कोर्ट ने उन्हें और 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है. बता दें, पार्थ और अर्पिता की हिरासत आज खत्म हो रही थी, लेकिन अब उन्हें और 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा गया है.

क्या है फ़्लैट नंबर 503 का राज़?

पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाले में ईडी की कार्रवाई जारी है, पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी और उनकी करीबी अर्पिता मुखर्जी से पूछताछ के बीच दोनों की संपत्तियो को भी खंगाला जा रहा है. ‘नोटों के पहाड़’ और तमाम कागजों के मिलने के बीच ईडी की कार्रवाई फ्लैट नंबर 503 पर आकर रुक गई है. दरसल, ईडी की टीम यह सुराग जुटाने में लगी है कि आखिर इस फ्लैट का राज क्या है, क्योंकि इसे खोलने में अब तक ईडी कामयाब नहीं हो पाई है. वहीं, पांडित्या रोड अपार्टमेंट के इस फ्लैट में गुरुवार को एक बार फिर ईडी की टीम पहुंची थी, लेकिन इसका ताला तब भी नहीं खुलवाया जा सका.

नहीं खुला ताला

ईडी की टीम सबसे पहल रबिंद्र सरोवर पुलिस थाने पहुंची थी, वहां पुलिसकर्मियों और ताला खोलने वाले को साथ लेकर ईडी की टीम फ़्लैट पर पहुंची, इसी दौरान दरवाजा तोड़ने की कोशिशें भी की गई लेकिन तमाम कोशिश विफल होती नज़र आई. इसके बाद अफसरों ने एसोसिएशन के सेक्रेट्री से संपर्क किया और फिर सेक्रेट्री ने उन्हें बिल्डिंग के लिए ताला बनाने वाले से भी मिलवाया, इसके बावजूद अफसरों को कामयाबी नहीं मिल सकी. वहीं, पड़ोसियों का कहना है कि इस फ्लैट में करीब पांच साल से ताला बंद है, और अब इसकी चाबी ढूंढने में ईडी को नहीं मिल पा रही है.

पार्थ और अर्पिता की बेनामी संपत्ति

ईडी अफसरों का मानना है कि भले ही इस प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री अलग-अलग लोगों के नाम पर है, लेकिन यह पार्थ चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी की बेनामी संपत्ति है. वहीं अभी तक ईडी को इस मामले में एक कंपनी के कागजात मिले हैं जो पार्थ और अर्पिता की पार्टनरनशिप में 2012 से चल रही है.

 

 

जम्मू-कश्मीर: चुनाव आयोग का बड़ा फैसला- अब बाहर के लोग भी डाल पाएंगे वोट, जुड़ेंगे 25 लाख नए मतदाता

Advertisement