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अटल जी के जीवन से जुड़े अनसुने किस्से.. मटके से कर डाली थी खुद की तुलना

नई दिल्ली, देश दुनिया में कई ऐसी शख्सियत होती हैं, जो भले ही इस दुनिया ही चले गए हों लेकिन उन्‍हें दुनिया हमेशा याद रखती है. इसी तरह राजनीति में भारत के सबसे लोकप्रिय राजनेताओं में ‘अटल बिहारी वाजपेयी’ का नाम भी है, उनके द्वारा किए गए कार्यों के कारण देश ही नहीं बल्कि दुनिया […]

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अटल जी के जीवन से जुड़े अनसुने किस्से.. मटके से कर डाली थी खुद की तुलना
  • August 16, 2022 7:00 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली, देश दुनिया में कई ऐसी शख्सियत होती हैं, जो भले ही इस दुनिया ही चले गए हों लेकिन उन्‍हें दुनिया हमेशा याद रखती है. इसी तरह राजनीति में भारत के सबसे लोकप्रिय राजनेताओं में ‘अटल बिहारी वाजपेयी’ का नाम भी है, उनके द्वारा किए गए कार्यों के कारण देश ही नहीं बल्कि दुनिया में भी उनकी छवि एक अच्छे राजनेता के रूप में उभरी थी. वे एक महान कवि व महान मागदर्शक थे, यहां तक की राजनीति में उन्हें कई लोगों ने उन्हें अपने गुरु का दर्जा दिया था. स्वतंत्रता दिवस के एक दिन बाद ही अटल जी ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया था, 93 वर्ष की आयु में साल 2018 में उनका निधन हो गया था. आज अटल बिहारी वाजपेयी की चौथी पुण्यतिथि है, ऐसे में आइए आपको उनके बारे में कुछ रोचक तथ्य बताते हैं:

1. बहुत कम ही लोगों को ये पता होगा कि अटल बिहारी वाजपेयी ने लॉ की पढ़ाई अपने पिता के साथ कानपुर के डीएवी कॉलेज से की थी. दोनों ने एक ही कक्षा में लॉ की डिग्री हासिल की थी और इस दौरान पिता-पुत्र एक ही साथ हॉस्टल में भी रहे थे.

2. अटल बिहारी वाजपेयी को उनके करीबी दोस्त और रिश्तेदार ‘बाप जी’ कहकर बुलाते थे, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने राज्यसभा में एक भाषण के दौरान उन्हें भारतीय राजनीति का ‘भीष्म पितामाह’ तक कह दिया था. अटल जी ने शादी तो नहीं की थी लेकिन एक लड़की को गोद लिया था जिसका नाम नमिता है. बता दें, अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म ब्राह्मण परिवार में हुआ था लेकिन उन्हें मांस-मच्छी खाने का बहुत शौख था, वे प्रोन्स खाने के शौकीन थे. पुरानी दिल्ली का करीम होटल उनका पसंदीदा मांसाहारी होटल था.

3. अटल बिहारी वाजपेयी एक दिग्गज नेता थे ही, साथ ही उन्होंने विरोधी दलों के बीच भी एक खास मुकाम हासिल किया था. यहाँ तक कि जवाहर लाल नेहरू ने भविष्यवाणी करते हुए कह दिया था कि एक दिन अटल बिहारी वाजपेयी भारत के प्रधानमंत्री बनाएंगे. जब अटल बिहारी वाजपेई विदेश मंत्री बने थे तो उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी भाषा में भाषण दिया था और ऐसा करने वाले वे देश के प्रथम नेता थे.

4. साल 1971 में जब बांग्लादेश का विभाजन हुआ था, तो उसमें इंदिरा गांधी के प्रतिनिधित्व में भारत की जो भूमिका रही, उससे प्रभावित होकर अटल बिहारी बाजपेयी ने उन्हें “साक्षात दुर्गा” की उपाधि दी थी. इसमें कोई संदेह नहीं हैं कि अटल जी वो पहले प्रधानमंत्री थे जिन्होंने दुनिया को भारत की परमाणु शक्ति का दिलाया था. अंतर्राष्ट्रीय दबावों के बावजूद उन्होंने पोखरण परमाणु परीक्षण करवाया और भारत को एक परमाणु शक्ति सम्पन्न देश बनाया. पूर्वराष्ट्रपति नरसिम्हा राव, अटल बिहारी बाजपेयी को अपना राजनैतिक गुरु मानते थे, वहीं पाकिस्तान के साथ मजबूत संबंध बनाने के लिए, उन्होंने 19 फरवरी 1999 को दिल्ली से लाहौर तक सदा-ए-सरहद नाम की एक बस सर्विस भी शुरू की थी जिसमें उन्होंने भी एक बार यात्रा की थी.

जब वाजपेयी ने दहेज़ में माँगा पूरा पाकिस्तान

बात 16 मार्च 1999 की है, जब प्रधानमंत्री रहते हुए अटल जी ने पाकिस्तान के साथ मधुर संबंध बनाने की पहल की थी, उन्होंने दोनों देशों के बीच बस सेवा शुरू की थी. अटल जी ने लाहौर से अमृतसर के लिए बस शुरू की थी. इसी बस में वे खुद बैठकर लाहौर तक गए थे, वहां उनका बहुत ही खास स्वागत भी हुआ था. इस दौरान जब अटल जी वहां के गवर्नर हाउस में भाषण दे रहे थे, तब पाकिस्तान की एक महिला पत्रकार के सवाल पर वहां सन्नाटा छा गया. दरअसल, महिला पत्रकार ने अचानक पूछ लिया था कि अब तक आपने शादी क्यों नहीं की? मैं आपसे शादी करना चाहती हूं, लेकिन एक शर्त है कि आप मुझे मुँह दिखाई में कश्मीर देंगे. इस बात पर अटल जी को हंसी आ गई, लेकिन वो भी होनहार पत्रकार थे इसलिए उन्होंने अपनी बेबाकी और हाजिर जवाबी का परिचय देते हुए कहा कि मैं भी शादी के लिए तैयार हूं, लेकिन मेरी भी एक शर्त है, मुझे दहेज में पूरा पाकिस्तान चाहिए. अटलजी के इस हाजिर जवाबी से वहां पूरा हॉल ठहाकों से गूंज उठा था, इस किस्से की आज भी चर्चा कर हंसगुल्ले उठने लगते हैं.

पार्टी की हार के बावजूद देखने गए फिल्म

अटलजी को फिल्मों का बहुत शौक था, इसी से जुड़ा ये किस्सा भी है. एक बार दिल्ली में उपचुनाव में भाजपा को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा था. लालकृष्ण आडवाणी इस हार से विचलित थे, लेकिन अटलजी भी शांत बैठे थे. अचानक अटल जी उठे और आडवाणी जी से बोले, चलों फिल्म देखकर आते हैं. इस पर आडवाणी ने कहा कि यहां पार्टी हार गयी है और आप फिल्म देखने के लिए कह रहे हैं. इसपर अटल जी बोले हार-जीत तो चलती रहती है, हार को खुद पर हावी नहीं होने देना चाहिए, इसके बाद अटल जी और आडवाणी जी फिल्म देखने गए और दिल्ली के पहाड़गंज स्थित एक थिएटर में राजकपूर की फिल्म देखी.

शादी से ज्यादा जरूरी समाचार पत्र

अटलजी एक अच्छे पत्रकार भी थे, अटल जी स्वदेश अखबार में लखनऊ के संपादक भी हुआ करते थे. उन्हीं दिनों में कानपुर में उनकी बहन की शादी होने वाली थी. घर में जोरो-शोरों से शादी की तैयारी चल रही थी. तभी नानाजी देशमुख अटल जी ने अटलजी से कहा था कि तुम्हारी बहन की शादी है और तुम यहां हो, शादी में कब आओगे. अटलजी ने इसपर कहा कि शादी से ज्यादा जरूरी तो समाचार पत्र है. शादी तो मेरे बगैर हो भी जाएगी.

जब मनमोहन सिंह को इस्तीफ़ा देने से रोका था

साल 1991 जब पीवी नरसिम्हा राव की सरकार थी तब मनमोहन सिंह वित्त मंत्री हुआ करते थे, तब अटल बिहारी वाजपेयी लखनऊ के सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष भी थे. मनमोहन सिंह ने संसद में जब अपना बजट भाषण संपन्न किया तो अटल जी ने बतौर नेता प्रतिपक्ष बजट की आलोचना की. लेकिन, मनमोहन सिंह ने अटल जी की आलोचना को दिल से लगा लिया और प्रधानमंत्री के पास इस्तीफ़ा देने पहुंचे. इस्तीफ़ा देखकर राव ने तुरंत ही वाजपेयी जी को फोन लगाया और पूरी बात बताई. इसके बात अटल जी ने मनमोहन सिंह को समझाया कि उनकी आलोचना केवल राजनीतिक है इसे व्यक्तिगत न लें. इसके बाद हर साल अटल जी के जन्मदिन पर मनमोहन सिंह उनसे मुलाक़ात करने जाते थे, क्योंकि राजनीतिक जीवन से इतर दोनों में एक अच्छी दोस्ती भी थी.

जब मटके से कर डाली थी खुद की तुलना

लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान अटल जी अपने भाषणों में अक्सर कहा करते थे कि जिस प्रकार मटके को ठोक-बजाकर लेते हैं, उस प्रकार उन्हें भी ठोक-बजा लें उसके बाद ही वोट दें.

 

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