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पाकिस्तानी तालिबान और सरकार की बातचीत के बाद, स्वात घाटी छोड़ रहा आतंकी संगठन

नई दिल्ली : पाकिस्तानी तालिबान ने सरकार के साथ बातचीत की. इस बातचीत के बाद आतंकी संगठन ने स्वात वैली को छोड़ना शुरू कर दिया है. दरअसल आतंकी संगठन पाकिस्तान तालिबान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत की स्वात घाटी में मौजूदगी से खतरे की घंटी बजने लगी थी. ये है वजह कुछ महीने पहले तालिबान आतंकवादियों […]

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पाकिस्तानी तालिबान और सरकार की बातचीत के बाद, स्वात घाटी छोड़ रहा आतंकी संगठन
  • August 14, 2022 8:53 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली : पाकिस्तानी तालिबान ने सरकार के साथ बातचीत की. इस बातचीत के बाद आतंकी संगठन ने स्वात वैली को छोड़ना शुरू कर दिया है. दरअसल आतंकी संगठन पाकिस्तान तालिबान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत की स्वात घाटी में मौजूदगी से खतरे की घंटी बजने लगी थी.

ये है वजह

कुछ महीने पहले तालिबान आतंकवादियों ने स्वात जिले की मट्टा की पहाड़ियों पर कब्जा कर लिया था, इस वजह से कई पड़ोसी जिलों में दहशत का माहौल था. एक मीडिया रिपोर्ट की मानें तो जिस दिन तालिबान के घाटी में आने की सूचना मिली थी, तालिबान की अप्रत्याशित मौजूदगी से लोगों में गुस्सा पैदा हो गया था. इस कारण इलाके के पर्यटन पर असर पड़ने लगा था.

छोड़ रहे घाटी

खैबर पख्तूनख्वा और शहबाज शरीफ दोनों सरकारें इस मामले को लेकर चुप रहीं. मामला सामने आने के बाद पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ स्वात ने तालिबान की उपस्थिति को लेकर अफगान सरकार तक के संपर्क में होने की बात कही थी. पाकिस्तान के एक वरिष्ठ अधिकारी की मानें तो “तालिबान ने वहां के स्थानीय लोगों की अपील मानकर शांति से स्वात को छोड़ने का फैसला लिया है. शनिवार की दोपहर तालिबान ने स्वात को दीर के रास्ते छोड़ना शुरू कर दिया है.

पाकिस्तान ने भेजी सेना

पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक सरकार ने अतिरिक्त सैनिकों को स्वात घाटी में भेजा है और तालिबान के खिलाफ संभावित हमले के लिए उन्हें अलग-अलग जगहों पर तैनात भी किया जा रहा है. मीडिया की मानें तो अब हालात सामान्य हो गए हैं और घाटी में हिंसा की कोई घटना नहीं हुई. बता दें, तालिबान ने जब से अफगानिस्तान पर कब्ज़ा किया है तभी से पकिस्तान सीमा पार अफगानिस्तान से होने वाले हमलों से परेशान था. जिसका समाधान निकालने के लिए दोनों पक्षों में बीते वर्ष अक्टूबर 2021 में बातचीत शुरू हुई थी. अफगान तालिबान की अपील पर ये बातचीत शुरू हुई थी जिससे एक महीने के अंदर ही युद्ध विराम हो गया.

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