नई दिल्ली : किडनी स्टोन्स यानी पथरी को लेकर हाल ही में एक नयी उपलब्धि अब डॉक्टर्स के हाथ लगी है. जहां लखनऊ के संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस ने इस नए तरीके को खोज निकाला है. लिथोट्रिप्सी मशीन के द्वारा अब मरीजों की दिल की पथरी से छुटकारा पाया जा सकता […]
नई दिल्ली : किडनी स्टोन्स यानी पथरी को लेकर हाल ही में एक नयी उपलब्धि अब डॉक्टर्स के हाथ लगी है. जहां लखनऊ के संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस ने इस नए तरीके को खोज निकाला है. लिथोट्रिप्सी मशीन के द्वारा अब मरीजों की दिल की पथरी से छुटकारा पाया जा सकता है. इस मशीन की मदद से अब तक 20 मरीजों को ठीक किया जा चुका है. 20 सफल केसेस में मरीजों को बिना बायपास सर्जरी के दिल की पथरी से छुटकारा मिला है. आइए आपको बताते हैं की कैसे काम करती है ये नई तकनीक.
दरअसल ये दिल की नसों पर काम करती है. अक्सर दिल की नसों में कैल्शियम जमा होने की कारण बंद होने वाली कुछ धमनियां एक तरह की पथरी का रूप ले लेती हैं. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अब इन धमनियों को बिना किसी ऑपरेशन के निकालने का इलाज मिल गया है. एसजी पीजीआई लखनऊ में लेटेस्ट लीथोट्रिप्सी मशीन द्वारा इसका सफल ट्रीटमेंट शुरू किया जा चुका है. इतना ही नहीं अब तक इस नई तकनीक से 20 से ज्यादा मरीजों का इलाज भी हुए है.
इस तकनीक की खासियत ये है कि इससे इलाज करने पर बायपास सर्जरी की जरूरत नहीं है. कई शोध से पता चलता हैं कि साउथ एशिया में कैल्शीफिकेशन की समस्या पुरुषों में 8.8 और महिलाओं में 3.6 फीसदी पाई जाती है. एक्सपर्ट्स की मानें तो कई बार मरीजों में किसी बीमारी या उम्र बढ़ने के साथ कैल्शियम बढ़ने लगता है, समय के साथ-साथ शरीर में जमा पुराना कोलेस्ट्र्रॉल आगे चलकर कैल्शियम बन जाता है.
लिथोट्रिप्सी मशीन साइंस की नई तकनीक है. इसके जरिये उच्च दबाव वाली ध्वनि तरंगों को मरीज के शरीर में भेजकर शॉक वेब (ध्वनि तरंगों) से पथरी पर फोकस किया जाता है. जिसके बाद पथरी को तोड़ने के लिए तरंगों को पथरी पर फोकस किया जाता है. जिसके बाद लोकेशन जान कर 1 से 2 हजार शॉक वेब क साथ उस पथरी पर मारी जाती हैं जिससे पथरी पाउडर बन जाती है.
पीजीआई में लीथोट्रिप्सी से ऑपरेशन करने पर ढाई लाख रुपये का खर्च आपको उठाना होगा. वही प्राइवेट अस्पताल में इसका खर्च करीब दो गुना है.
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