पटना, बिहार में एनडीए गठबंधन की सरकार जा चुकी है, नीतीश कुमार ने राज्यपाल को अपना इस्तीफ़ा सौंपा है और 160 विधायकों के समर्थन का दावा भी पेश किया है. वहीं, अब नीतीश राबड़ी आवास पहुँच गए हैं, कहा जा रहा है राबड़ी आवास में नई सरकार को लेकर मंथन हो रहा है. इस बातचीत […]
पटना, बिहार में एनडीए गठबंधन की सरकार जा चुकी है, नीतीश कुमार ने राज्यपाल को अपना इस्तीफ़ा सौंपा है और 160 विधायकों के समर्थन का दावा भी पेश किया है. वहीं, अब नीतीश राबड़ी आवास पहुँच गए हैं, कहा जा रहा है राबड़ी आवास में नई सरकार को लेकर मंथन हो रहा है. इस बातचीत के बाद जेडीयू और आरजेडी साझा प्रेस कांफ्रेंस करने वाले हैं. बिहार की राजनीति में हुए इस उलटफेर का असर अन्य राज्यों में भी देखने को मिल सकता है.
बिहार में अब जेडीयू, आरजेडी, कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों के महागठबंधन वाली नई सरकार होगी. हालांकि, इस बार भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार होंगे, जबकि उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव होंगे, उन्होंने गृह विभाग की भी मांग की है. वहीं, स्पीकर कांग्रेस का ही होगा. बिहार की राजनीति में हुए उलटफेर का असर देश की राजनीति पर पड़ना तो तय है, इस घटनाक्रम के बाद 11 बड़े संदेश सामने आ रहे हैं.
1- नीतीश कुमार एक ऐसे नेता हैं, जिनका राजनीति में न तो कोई पक्का दुश्मन है और न ही पक्का दोस्त.
2- नीतीश कुमार को उम्मीद है कि वे भाजपा का दामन छोड़कर आरजेडी के साथ आकर बिहार में अपना अस्तित्व सुनिश्चित कर सकते हैं.
3- नीतीश अब राष्ट्रीय स्तर पर मोदी के विकल्प के रूप में अपनी पुरानी आशा को फिर से पुनर्जीवित करने की कोशिश कर सकते हैं, अब एक बार फिर उनके प्रधानमंत्री बनने की इच्छा कुलांचे भर रही है.
4- बार-बार यू टर्न लेने की वजह से 2022 के नीतीश ने 2013 के नीतीश की तुलना में अपना महत्व कम कर लिया है.
5- महाराष्ट्र में उद्धव सरकार गिरने के बाद नीतीश कुमार ने भाजपा से नाता तोड़कर विपक्ष को नया जोश देने का काम किया है.
6- भाजपा अब बिहार में नंबर एक पार्टी के रूप में उभरने की अपनी आशा पर खुलकर काम करेगी, जबकि नीतीश की पार्टी नंबर तीन की है.
7- नीतीश का जाना यानी एक और पुराने सहयोगी को खोना 2024 से पहले भाजपा के लिए एक बड़ा झटका है.
8- भाजपा लालू और विपक्ष के खिलाफ भ्रष्टाचार विरोधी अभियान को और तेज कर देगी.
9- कांग्रेस जैसी पार्टियों के पास बिहार और हिंदी भाषी क्षेत्रों में सीमित विकल्प हैं, लेकिन वे बड़ी स्थानीय पार्टियों के साथ गठबंधन कर अहम रोल में आ सकती है.
10- अब नीतीश कुमार ममता, केजरीवाल और गांधी परिवार के साथ विपक्षी नेतृत्व का चेहरा बनने वाले उम्मीदवारों में से एक बन गए हैं.
11- महाराष्ट्र में हाल में जिस तरह भाजपा ने उद्धव सरकार को गिराया, उससे नीतीश सतर्क हो गए हैं.
बिहार में अपना CM चाहती है भाजपा, नीतीश कैसे करेंगे सियासी भूचाल का सामना